आज के समय में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं अचानक सामने आ सकती हैं और उनके इलाज का खर्च कई बार परिवार की पूरी जमा-पूंजी पर भारी पड़ जाता है. प्राइवेट अस्पतालों में छोटी सी सर्जरी से लेकर गंभीर बीमारियों का इलाज लाखों रुपये तक पहुंच सकता है. ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस होना बहुत जरूरी है. यह न सिर्फ आर्थिक बोझ कम करता है बल्कि इलाज के समय मानसिक शांति भी देता है. 

अगर परिवार के सभी सदस्य कवरेज में शामिल हों तो अचानक आने वाले मेडिकल खर्च से घबराने की जरूरत नहीं पड़ती. इसलिए हेल्थ पॉलिसी को आज के समय में एक सुरक्षा कवच माना जाता है. लेकिन इसे लेने से पहले कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है. चलिए आपको बताते हैं इनके बारे में पूरी जानकारी.

पॉलिसी लेते समय इन बातों का रखें खास ध्यान

कई बार लोग सिर्फ कम प्रीमियम देखकर पॉलिसी खरीद लेते हैं. लेकिन बाद में क्लेम के समय दिक्कत आती है. पॉलिसी लेते समय सबसे पहले यह देखना जरूरी है कि कवरेज कितना है और उसमें कौन-कौन सी बीमारियां शामिल हैं. अस्पताल में भर्ती होने, डे-केयर ट्रीटमेंट और प्री- व पोस्ट-हॉस्पिटलाइजेशन खर्च कवर हो रहे हैं या नहीं.

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यह जरूर चेक कर लें. तो इसके साथ ही यह देखना भी जरूरी है कि बीमा कंपनी का नेटवर्क कितना बड़ा है और आपके शहर में उसके कितने अस्पताल जुड़े हैं. क्लेम सेटलमेंट रेशियो भी पॉलिसी खरीदने से पहले चेक करना जरूरी है. जिससे यह बात साफ हो कि कंपनी आसानी से क्लेम पास करती है या नहीं.

फाइन प्रिंट अच्छ से पढ़ना जरूरी 

हेल्थ पॉलिसी लेते समय कई शर्तें और नियम होते हैं जिन पर लोग ध्यान नहीं देते. मसलन बात की जाए पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड कितना है. यह देखना बेहद जरूरी है. कई पॉलिसियों में शुरुआत के कुछ साल तक कुछ बीमारियों का कवर नहीं मिलता. इसके अलावा, रूम रेंट लिमिट और को-पेमेंट जैसी शर्तें भी ध्यान से पढ़नी चाहिए. 

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अगर यह लिमिट कम होगी तो क्लेम करते समय आपको जेब से पैसा देना पड़ सकता है. इसलिए पॉलिसी लेने से पहले उसकी सभी शर्तें समझना और बाकी 3-4 कंपनियों की पॉलिसी से कंपयेर जरूर करें. सही जानकारी के साथ लिया गया फैसला ही भविष्य में परेशानी से बचा सकता है.

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