गर्मी शुरू होते ही हर घर में एसी, कूलर और पंखों की रफ्तार बढ़ जाती है. लेकिन जैसे-जैसे इनकी ठंडी हवा राहत देती है, उसी रफ्तार से बिजली का मीटर भी दौड़ने लगता है. महीने के अंत में जब बिजली का बिल आता है तो कई बार जेब ढीली होने का अहसास कड़वा हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके इन कूलिंग उपकरणों की असली खपत कितनी है और कौन सबसे ज्यादा बिजली फूंकता है? आज हम आपको बताएंगे कि कैसे और क्यों आता है गर्मी में इतना बिजली का बिल.

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एसी सबसे बड़ा ‘बिजलीखोर’

एक टन (1 Ton) वाले स्प्लिट एसी की औसतन खपत होती है 0.8 से 1.2 यूनिट प्रति घंटे. अगर आप दिन में 8 घंटे एसी चलाते हैं, तो ये 8 से 10 यूनिट प्रतिदिन और महीने में करीब 240 से 300 यूनिट तक की खपत कर सकता है. अगर बिजली का टैरिफ 8 रुपये प्रति यूनिट है, तो सिर्फ एसी से ही 2,000 से 2,500 रुपये महीने का बिल बन सकता है. फैक्ट ये है कि BEE (Bureau of Energy Efficiency) के मुताबिक, 5 स्टार एसी, 1 या 2 स्टार एसी के मुकाबले 20 से 30% तक कम बिजली खपत करता है.

कूलर- थोड़ा सस्ता, लेकिन लगातार चलने से असरदार हो सकता है. क्योंकि कूलर की औसत खपत 0.1 से 0.2 यूनिट प्रति घंटे होती है. अगर दिनभर (12 घंटे) कूलर चलता है, तो महीने में यह 36 से 72 यूनिट तक खपत करता है. यानी कूलर से महीने का बिल 300 से 600 रुपये तक जा सकता है. लेकिन ध्यान रहे, अगर मोटर पुरानी है या पंखा जाम होता रहता है, तो बिजली की खपत ज्यादा हो सकती है.

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पंखा दिखता सीधा सादा पर चलाता है लंबा मीटर

पंखे की खपत आमतौर पर 75 से 90 वॉट प्रति घंटा होती है. इसका मतलब अगर एक पंखा दिन में 20 घंटे चलता है, तो महीने में 45 से 55 यूनिट खपत कर सकता है. अब सोचिए अगर घर में 4–5 पंखे हैं जो लगातार चलते हैं तो अकेले पंखों से भी 200 से ज्यादा यूनिट बन सकते हैं. इसके पीछे भी फैक्ट ये है कि नए BLDC मोटर वाले पंखे पुराने पंखों के मुकाबले 50% तक बिजली बचाते हैं.

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