False Case Defence Tips: आजकल पति-पत्नी के बीच झगड़े खूब देखने को मिलते हैं. और पिछले कुछ वक्त में इसमें काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. कभी-कभी मामूली झगड़े या किसी गलतफहमी के चलते रिश्ता इतना बिगड़ जाता है कि पत्नी पुलिस या कोर्ट का सहारा ले लेती है. कई बार ऐसा भी होता है कि गुस्से, बदले की भावना या किसी की सलाह पर पत्नी झूठा केस दर्ज करा देती है. ऐसे मामलों में पति और उसके परिवार पर अचानक मुसीबत टूट पड़ती है.
समाज में बदनामी, रिश्तेदारों की बातें और पुलिस की पूछताछ सब मिलकर मानसिक दबाव बढ़ा देती हैं. लेकिन ऐसे मौके पर जल्दबाजी में कोई कदम उठाने के बजाय स्थिति को कानूनी तरीके से संभालना चाहिए. अगर आप सच में निर्दोष हैं. तो कानून पूरी तरह आपके साथ है. आपको बस सही तरीके से आगे बढ़कर कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है.
झूठे केस में फंसने पर सबसे पहले क्या करें?
अगर पत्नी ने झूठा केस दर्ज कराया है. तो सबसे पहले घबराने के बजाय किसी अनुभवी फैमिली लॉ विशेषज्ञ वकील से तुरंत संपर्क करें. वकील की सलाह के बिना पुलिस को कोई बयान न दें. क्योंकि शुरुआती बयान बाद में केस की डायरेक्शन तय कर सकता है. पुलिस जांच में सहयोग करें. लेकिन अपने अधिकारों को समझते हुए हर कदम सोच-समझकर उठाएं. अपने खिलाफ लगे आरोपों की एफआईआर या शिकायत की कॉपी जरूर लें और उसमें क्या लिखा है ध्यान से पढ़ें.
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अक्सर घरेलू हिंसा या दहेज उत्पीड़न जैसे केसों में आरोप गंभीर होते हैं, इसलिए हर बात का ठोस सबूत इकट्ठा करना जरूरी है. जैसे फोन कॉल रिकॉर्ड, चैट, ईमेल, फोटो या कोई दस्तावेज जो आपकी सच्चाई साबित कर सके. अगर किसी झगड़े के वक्त गवाह मौजूद थे. तो उनके बयान भी बहुत काम आ सकते हैं. कोशिश करें कि हर चीज का रिकॉर्ड रखें जो बाद में कोर्ट में आपके पास सबूत के तौर पर हों.
बचाव के क्या हैं रास्ते?
कानून सिर्फ महिलाओं की सुरक्षा के लिए नहीं. बल्कि हर निर्दोष नागरिक के लिए बना है. अगर आपको लगता है कि आपके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं. तो सबसे पहले कोर्ट में एंटिसिपेटरी बेल यानी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करें ताकि गिरफ्तारी से बचा जा सके. अगर पुलिस जांच चल रही है. तो अपना पक्ष लिखित रूप में दें जिससे आपकी बात रिकॉर्ड में रहे. अगर आपको सबूत मिलते हैं कि पत्नी ने जानबूझकर गलत जानकारी दी है.
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तो आप उसके खिलाफ मानहानि या झूठी शिकायत का मामला दर्ज कर सकते हैं. भारतीय न्याय संहिता की धारा 217 के तहत झूठी रिपोर्ट देने वालों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है. इसके अलावा आप परिवार अदालत में अलग से तलाक केस भी दाखिल कर सकते हैं. हर बात को ठंडे दिमाग से संभालें और सोशल मीडिया पर इस मामले में कुछ भी पोस्ट न करें. क्योंकि ऐसे पोस्ट कोर्ट में आपके खिलाफ भी जा सकते हैं.
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