दिल्ली में अक्सर लोगों को बिजली के बढ़ते बिलों से परेशान रहना पड़ता है. लेकिन कुछ महीने ऐसे होते हैं जहां लोगों को राहत मिलती है.  क्योंकि तब खपत कम होती है. लेकिन अब हर महीने बिल में उतार-चढाव देखने को मिल सकता है.  भले ही घर में बिजली की खपत हमेशा एक जैसी ही क्यों न हो. दरअसल DERC यानी दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन एक नए नियम पर विचार कर रहा है. जिसके तहत बिजली की कीमतें सीधे तेल और गैस की मौजूदा दरों के हिसाब से तय की जाएंगी. 

इसका मतलब यह है कि घरेलू उपभोक्ताओं को हर महीने अलग-अलग राशि का भुगतान करना पड़ सकता है. इस बदलाव से लोगों को अपनी बजट योजना में भी बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है. अस नए नियम का सीधा असर बिल पर देखने को मिलेगा. चलिए बताते हैं आपको इस बारे में पूरी जानकारी.

बिजली बिल में हर महीने बदलाव का नियम

दिल्ली में अब नया नियम आने वाला है. जिसमें आपके बिजली बिल में फ्यूल एंड पावर परचेज एडजस्टमेंट यानी FPPAS अपने आप जुड़ जाएगा. इसका मतलब यह है कि अगर कोयला, तेल या गैस जैसी चीजें महंगी होंगी तो बिजली बनाने का खर्च भी बढ़ेगा और सीधा असर बिल पर पड़ेगा. अभी तक DERC इसे तय करता था और हर तीन महीने बाद कंपनियां बिल में जोड़ती थीं. लेकिन अगर यह नियम लागू हो जाता है. तो फिर बिजली कंपनियां DERC से इसकी परमिशन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी और बिल में हर महीने बदलाव हो सकता है. 

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कंपनियों को राहत उपभोक्ताओं को नहीं

बिजली कंपनियों के मुताबिक यह नियम उनके लिए अच्छा होगा. क्योंकि ईंधन महंगा होने पर उन्हें पैसों की दिक्कत होती है. हर महीने बदलाव होने से उनका खर्च निकल पाएगा. लेकिन FPPAS पर 10% की लिमिट तय की गई है.  यानी उन्हें पूरा पैसा वापस नहीं मिल सकेगा. ग्राहकों को इसका असर बिल में दिखेगा क्योंकि अब हर महीने बिल अलग-अलग आ सकता है.

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जनता से मांगी राय

दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने 2017 के टैरिफ नियमों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है. इस बदलाव के बाद बिजली कंपनियों को उपभोक्ताओं के बिल में सीधे ईंधन और पावर खरीद से जुड़ा चार्ज जोड़ने की परमिशन मिल सकती है. इसके लिए उन्हें अलग से मंजूरी का इंतजार नहीं करना होगा. DERC ने इस प्रस्ताव पर जनता से 24 सितंबर तक राय मांगी है. आपको बता दें फिलहाल यह नया नियम लागू नहीं हुआ है. 

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