हर किसी का सपना होता है कि उसके पास एक अपनी कार हो, लेकिन कई लोग बजट की वजह से कार नहीं खरीद पाते. वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें बार-बार गाड़ियां बदलने का शौक होता है. ऐसे लोगों के लिए अब कार कंपनियां कार लीज पर लेने का नया ऑप्शन दे रही हैं. यह सुविधा इन दिनों भारत में तेजी से लोगों की पसंद बन रही है. लोग अब तेजी से कार खरीदने की जगह कार लीज पर ले रहे हैं. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कार लीज स्कीम क्या है और क्या कार लीज पर लेना ज्यादा फायदेमंद होता है या नई गाड़ी. क्या है कार लीज की यह सुविधा? दरअसल, इस स्कीम के तहत कार कंपनियां ग्राहकों को एक तय समय के लिए लीज पर गाड़ी देती हैं. ग्राहक को इसके बदले हर महीने एक रकम चुकानी होती है. यह रकम टाइम लिमिट और गाड़ी के मॉडल के अनुसार तय की जाती है. इसमें आपको कोई डाउन पेमेंट नहीं देना होता है, लेकिन सिक्योरिटी मनी के रूप में कुछ राशि जमा करनी पड़ती है. गाड़ी चलाने के लिए इसमें कंपनी आपको एक लिमिट तय करती है, जिसे पार करने पर एक्स्ट्रा चार्ज देना होता है. खास बात यह है कि गाड़ी की मेंटेनेंस, सर्विस और इंश्योरेंस का खर्च कंपनी उठाती है. यानी इसमें ग्राहक को झंझटों से छुटकारा मिल जाता है. क्या है फायदे और नुकसान? भारत में कई बड़ी कार कंपनियां जैसे हुंडई, मर्सिडीज, महिंद्रा एंड महिंद्रा, फीएट और स्कोडा यह सुविधा दे रही हैं. इस स्कीम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ग्राहक को डाउन पेमेंट, रोड टैक्स और मेंटेनेंस खर्च नहीं उठाना पड़ता है. हालांकि, इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि लंबे समय तक हर महीने पैसे देने के बावजूद ग्राहक कार का मालिक नहीं बनता और तय अवधि पूरी होने के बाद गाड़ी कंपनी को वापस करनी पड़ती है. हालांकि, यह स्कीम उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है जो बार-बार गाड़ी बदलना पसंद करते हैं या फिर जिनकी जॉब ट्रांसफरेबल है. ऐसे लोग बिना खरीदारी के नई-नई गाड़ियों का एक्सपीरियंस ले सकते हैं. कार लीज स्कीम में ग्राहक 12 महीने से लेकर 40 महीने तक गाड़ी लीज पर ले सकते हैं. समय पूरा होने के बाद चाहे तो प्लान बढ़ाया जा सकता है या दूसरी गाड़ी लीज पर ली जा सकती है. कार खरीदना बेहतर या लीज पर लेना अगर आप लंबे समय तक एक ही शहर में रहकर गाड़ी चलाने वाले हैं तो कार खरीदना ज्यादा फायदेमंद होगा. हालांकि, अगर आप किसी शहर में सिर्फ दो से तीन साल के लिए हैं तो कार लीज पर लेना ज्यादा सही होगा. इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि अगर आप 50 लाख रुपये की कार खरीदते हैं तो आपको हर महीने करीब 1.19 लाख रुपये की ईएमआई देनी होगी, इसमें 3 साल में कुल खर्च लगभग 60 लाख रुपये तक पहुंच जाता है. वहीं अगर आप उस कार को लीज पर लेते हैं तो हर महीने 1.3 लाख रुपये किराया देना होगा और 3 साल में खर्च करीब 37 लाख रुपये होगा. बस कार लीज पर लेने के बाद आपको समय पूरा होने के बाद कार कंपनी को लौटानी होगी.

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