भारत में आजकल तलाक के कई मामले सामने आ रहे हैं, जिनकी वजह भी अलग-अलग होती है. कभी पति की पत्नी के बीच आपसी मतभेद तो कभी किसी  एक का अफेयर इसकी बड़ी वजह बनता है. लेकिन इन सबके बीच एक सवाल अक्सर उठता है कि क्या पति के बहुत ज्यादा शक करने पर भी पत्नी तलाक मांग सकती है. दरअसल हाल ही में ऐसा ही एक मामला केरल से सामने आया है, जिसमें हाई कोर्ट ने इस मुद्दे पर एक बड़ा और अहम फैसला सुनाया है. अदालत ने साफ किया है कि अगर पति लगातार अपनी पत्नी पर शक करता है, उसकी हर गतिविधि पर नजर रखता है और उसकी आजादी में दखल देता है तो यह गंभीर मानसिक क्रूरता के दायरे में आता है. ऐसे में चलिए अब आपको बताते हैं कि क्या पति बहुत शक करता है, इस आधार पर पत्नी तलाक मांग सकती है या नहीं और इसे लेकर कानून क्या कहता है?

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क्या था पूरा मामला?

दरअसल यह मामला केरल के कोट्टायम का है. रिपोर्ट्स के अनुसार महिला की शादी साल 2013 में हुई और उसकी एक बेटी भी है. महिला ने कोर्ट में बताया कि शादी के शुरुआती दिनों से ही उसका पति उस पर शक करने लगा. वह किसी पुरुष से बात करती तो उसे बुरा लगता है, यहां तक कि पति ने शक के चलते उस महिला को नर्सिंग की नौकरी छोड़ने के लिए भी मजबूर कर दिया.  महिला ने अदालत को बताया कि जब वह पति के साथ विदेश गई तो उसका व्यवहार और भी खराब हो गया. वह अक्सर उसे कमरे में बंद कर देता किसी से फोन पर बात करने की इजाजत नहीं देता और कई बार मारपीट भी करता था. वहीं महिला के पति ने महिला के आरोपी को झूठा बताया और महिला पर अदालत में बढ़ा-चढ़ा कर बातें पेश करने का आरोप लगाया. लेकिन अदालत ने पत्नी की गवाही को सच्चा माना.

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हाई कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला हाईकोर्ट से पहले केरल की एक महिला ने फैमिली कोर्ट में अपनी याचिका दायर की थी, लेकिन फैमिली कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज कर दी थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को पलट दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि एक शक्की पति किसी भी शादीशुदा जिंदगी को नर्क बना सकता है. लगातार शक और विश्वास शादी की नींव को जहरीला कर देता है. हाईकोर्ट ने कहा कि जब कोई पति बिना किसी कारण के अपनी पत्नी पर शक करता है, उसकी गतिविधियों पर नजर रखता है, उसकी ईमानदारी पर सवाल उठता है और उसकी आजादी में हस्तक्षेप करता है तो यह गंभीर मानसिक क्रूरता का मामला है.

क्या कहता है कानून?

इस मुद्दे को लेकर केरल हाईकोर्ट ने तलाक अधिनियम 1869 की धारा 10(1)(x) का हवाला देते हुए कहा की पत्नी पर लगातार शक करना और उसके निजी स्वतंत्रता में दखल देना मानसिक क्रूरता के अंदर आता है. ऐसे मामलों में पत्नी तलाक की मांग कर सकती है. यह फैसला उन सभी मामलों के लिए एक मिसाल मानना जा रहा था, जहां रिश्ते में शक ने प्यार और भरोसे की जगह ले ली. केरल हाई कोर्ट ने यह भी साफ किया कि जब शादी में विश्वास ही शक पर हावी हो जाता है तो रिश्ता अपना अर्थ खो देता है.

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