Atul Subhash Child Custody: बेंगलुरु के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने पिछले साल दिसंबर में अपनी पत्नी और ससुराल वालों से प्रताड़ित होकर आत्महत्या कर ली थी. अपनी जान देने से पहले अतुल सुभाष ने एक 24 पन्नों का सुसाइड नोट और तकरीबन डेढ़ घंटे का वीडियो बनाकर पोस्ट किया था. जिसमें अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी अपने ससुराल वाले अपने बच्चों को लेकर सारी बातें सामने रखी थी.

बेंगलुरु पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने को लेकर मामला दर्ज करते हुए अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके ससुराल वालों को गिरफ्तार कर लिया था. हाली ही में अतुल सुभाष के बेटे की कस्टडी किसे दी जाए. इस बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट में का फैसला आया है. उनके बेटे की कस्टडी अतुल सुभाष के माता-पिता के बजाए उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया को दी गई है. जानें कोर्ट किन आधार पर तय करता है कस्टडी. क्या हैं इसे लेकर नियम. 

कोर्ट कैसे तय करता है किसे मिले बच्चे की कस्टडी?

तलाक के बाद बच्चे की कस्टडी किसे मिले यह कोर्ट द्वारा निर्धारित किया जाता है. गार्डियन एंड वार्ड एक्ट के तहत किसी बच्चे पर उसके माता-पिता दोनों का ही बराबर का अधिकार होता है. लेकिन कोर्ट इस बात पर ज्यादा यकीन रखता है कि बच्चे की देखरेख उसकी परवरिश को कौन बेहतर तरीके से कर सकता है और बच्चा किसके साथ रहना पसंद करता है. इसी के आधार पर बच्चे की कस्टडी सौंपी जाती है. बता दें कोर्ट की ओर से इसके लिए स्पेशल क्राइटेरिया बनाया गया होता है. जो उस क्राइटेरिया को पूरा करता है. कोर्ट उसी को बच्चे की कस्टडी देता है. 

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निकिता सिंघानिया को क्यों मिली बेटे की कस्टडी?

अतुल सुभाष के बेटे की कस्टडी के मामले को लेकर कई लोगों के मन में यह सवाल आ रहा है कि निकिता सिंघानिया को यानी अतुल सुभाष की पत्नी को उनके बेटे की कस्टडी कैसे मिल गई. यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि अतुल सुभाष ने अपनी निकिता सिंघानिया और अपने ससुराल वालों से प्रताड़ित होकर आत्महत्या की थी.

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तो ऐसे में बच्चा कैसे उनके पास सुरक्षित रह सकता है. बता दें बच्चे की कस्टडी के लिए अतुल सुभाष की माता यानी बच्चे के दादी ने याचिका दायर की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बच्चे के लिए अजनबी माना. सुप्रीम कोर्ट ने अतुल सुभाष और निकिता सिंघानिया के 4 साल के बेटे से ऑनलाइन वीडियो कांफ्रेंस के जरिए बात की उसके बाद ही यह फैसला लिया. 

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