IN PICS: रोत बिलखते लाखों लोगों ने नम आंखों से दी अम्मा को आखिरी विदाई
उनके राजनीतिक गुरु तथा एआईएडीएमके के संस्थापक एम.जी.रामचंद्रन (एमजीआर) के स्मारक के निकट मंगलवार शाम उन्हें दफन कर दिया गया, जो उन्हें फिल्मी दुनिया से पुरुषों के बर्चस्व वाली राजनीति में लेकर आए थे.
तमिलनाडु का चप्पा-चप्पा समर्थकों की भीड़ से भड़ा हुआ था.
तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की अंतिम यात्रा के लिए आर्मी ट्रक एवं गन कैरिज वाहन पर 40 श्रमिकों ने 10 घंटे की मेहनत के बाद दो टन से अधिक फूल लगाकर इसे जनाजे के लिए तैयार किया. एक वरिष्ठ फ्लोरिस्ट वेलु ने कहा, ‘‘इस गमगीन मौके के लिए फूलों की पसंद भी उसी के अनुसार होनी चाहिए थी क्योंकि ऐसा होना बहुत जरूरी होता है.’’ उन्होंने बताया कि मालाएं और अन्य सामान तैयार करने के लिए 2000 किलोग्राम से अधिक फूल इस्तेमाल किए गए.
जयललिता की खबर ने पूरे तमिलनाडु की चाल को थाम कर रख दिया.
जयललिता लोगों के लिए सिर्फ नेता नहीं थीं, बल्कि उनका सब कुछ थी. खासकर महिलाएं तो उन्हें भगवान मानती थीं. जयललिता के निधन की खबर ने उन्हें तोड़ कर रख दिया.
शवयात्रा जब अपने गंतव्य तक पहुंची, तो लोगों के सब्र का बांध टूट पड़ा. वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखों में आंसू थे.
कई लोगों को यह विश्वास नहीं हो रहा था कि उनकी अम्मा उन्हें अकेला छोड़कर इस दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं.
लोग एक दूसरे को संतावना दे रहे थे लेकिन उनके आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे.
लोग रोते-विलखते नजर आए. कुछ तो अपनी छाती और सिर पीट रहे थे. हर तरफ बस 'अम्मा, अम्मा' की आवाज गूंज रही थी.
लाखों लोग 'अम्मा' के निधन के शोक में चेन्नई की सड़कों पर दिखें. चारों तरफ अम्मा-अम्मा का गूंज रहा था.
जयललिता के समर्थकों द्वारा खुद को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदर्शनों को लेकर पूरे प्रदेश में पुलिस सतर्क रही. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे.
जयललिता के पार्थिव शरीर को कांच के कास्केट (ताबूत) में रखकर मरीना बीच ले जाया गया.
अपने नेता की अंतिम झलक पाने के लिए लोग पेड़ पर चढ़ गए थे.
तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी. अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन के लिए लाखों लोगों की भीड़ धीरे-धीरे मरीना बीच की तरफ बढ़ रही थी. जयललिता के पार्थिव शरीर के साथ चेन्नई की सड़कों पर तीन किलोमीटर लंबा जुलूस धीरे-धीरे मरीना बीच की तरफ बढ़ रहा था. भीड़ में भारी संख्या में महिलाएं व पुरुष शामिल थे, जिनमें से अधिकांश रो-पीट रहे थे. तीन किलोमीटर की दूरी तय करने में एक घंटे से अधिक का समय लगा.