उत्तर प्रदेश का चुनावी 'महाभारत' शुरू हो चुका है और उम्मीदवारों से लेकर जातिगत समीकरणों के फॉर्मूले बिठाए जा चुके हैं. चुनावी पिक्चर के पहले हाफ में जहां सत्ताधारी बीजेपी अपने 5 साल के कामकाज का लेखा-जोखा लेकर जनता के बीच जा रही है तो वहीं विपक्ष हमला करने से नहीं चूक रहा है. अवाम को लुभाने के लिए एक से बढ़कर एक योजनाओं का बिगुल फूंका जा रहा है. कोई 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा कर रहा है, कोई स्मार्टफोन-लैपटॉप दे रहा है तो कोई सरकार बनने पर युवाओं के लिए रोजगारों का पिटारा खोलने के दावे कर रहा है. सपा से लेकर बीजेपी, बसपा से लेकर कांग्रेस सभी अपनी तरफ से पूरा जोर लगा रहे हैं. खैर गद्दी किसे मिलेगी ये तो 10 मार्च को मालूम चल ही जाएगा. 

लेकिन इन सबके बीच असल सवाल है कि विभिन्न मुद्दों को लेकर जनता की राय क्या है? लोग किसे वोट देने का मन बना रहे हैं. यही जानने के लिए एबीपी न्यूज सी वोटर के साथ लगातार सर्वे कर अलग-अलग सवाल लोगों से पूछ रहा है ताकि मोटा-मोटी एक तस्वीर सामने आ सके. इस बीच यह भी सामने आ रहा है कि अखिलेश गठबंधन में टिकटों को लेकर खींचतान मची हुई है. तो यही सवाल हमने जनता के सामने रखा कि क्या अखिलेश गठबंधन से कई जगह एक सीट पर दो-दो उम्मीदवार होने से नुकसान होगा? करीब 53 फीसदी लोगों ने कहा कि हां सपा गठबंधन को नुकसान झेलना होगा. 30 फीसदी लोगों ने कहा कि नुकसान नहीं होगा. 17 प्रतिशत लोगों ने पता नहीं में जवाब दिया. 

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अखिलेश गठबंधन से कई जगह एक सीट पर दो-दो उम्मीदवार होने से नुकसान होगा?हां - 53 %नहीं- 30 %पता नहीं- 17 %

बता दें कि अखिलेश यादव ने यूपी चुनाव में जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल और ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा से गठबंधन किया है. दरअसल यूपी में अखिलेश यादव बेशक 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने के वादे के साथ वोटरों को रिझाने में लगे हैं लेकिन उनके अपने ही सहयोगी ही कुर्सी की रेस में अखिलेश को करंट दे रहे हैं. 

कई सीटों पर गठबंधन में आपस में ही टकरार

ऐसी ही तकरार हरदोई की संडीला सीट पर नजर आई जहां एसपी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने सुनील अर्कवंशी को एसपी के टिकटों के ऐलान से पहले ही मैदान में उतार दिया. वहीं अखिलेश ने रीता सिंह को शपथ दिलाई और टिकट देने का ऐलान कर दिया. ऐसी ही तनातनी बिजनौर सदर सीट पर देखने को मिल रही है, जहां जयंत चौधरी ने डॉक्टर नीरज चौधरी को उतार दिया तो एसपी ने डॉ. रमेश तोमर को टिकट दे दिया.

इससे पहले मथुरा सीट पर भी ऐसे ही  हालात बने थे जिसे सुलझा लिया गया. इतना ही नहीं जाट महासभा भी कम टिकटें मिलने से नाराज है. वहीं मुरादाबाद में हाजी इकराम कुरैशी और हाजी रिजवान ने टिकट कटने के बाद बगावत कर दी है. 

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