Vehicle Scrapping Policy: 62 लाख गाड़ियों पर गाज, आम आदमी का सपना कबाड़?
एबीपी न्यूज़ डेस्क | 04 Jul 2025 08:30 PM (IST)
हमारे देश में आम आदमी के लिए अपना घर और गाड़ी होना एक बड़ा सपना होता है. लेकिन हाल ही में लागू की गई एक नीति के तहत 62 लाख से अधिक गाड़ियों को कबाड़ में बदलने की बात सामने आई है. इस नीति को लेकर यह सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार प्रदूषण से लड़ने के बजाय गाड़ियों से लड़ रही है. एक टिप्पणी में कहा गया है कि 'आप पॅलूशॅन से कम गाड़ी से क्यों ज्यादा लड़ रहे हैं?' इस बात पर जोर दिया गया है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए केवल गाड़ियों की उम्र को आधार बनाना सही नहीं है, बल्कि उनकी हालत और रखरखाव को देखना चाहिए. यूरोप जैसे देशों में भी गाड़ियों की उम्र नहीं, बल्कि उनके प्रदूषण नियंत्रण सर्टिफिकेट (पीयूसी) और फिल्टर की जांच की जाती है. अगर गाड़ी प्रदूषण नहीं करती है, तो उसे चलाने की अनुमति दी जाती है. यह भी बताया गया कि कुल प्रदूषण में गाड़ियों का योगदान लगभग 50 फीसदी है, जिसमें से निजी गाड़ियों का हिस्सा केवल 20 फीसदी है. दोपहिया और तिपहिया वाहनों से 50 फीसदी और ट्रकों से 30 फीसदी प्रदूषण होता है. इसके विपरीत, फैक्टरियों से निकलने वाला कचरा और निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल प्रदूषण की बड़ी वजहें हैं, लेकिन उन पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं हो रही है. यमुना के प्रदूषण को लेकर भी फैक्टरियों पर कार्रवाई न होने का मुद्दा उठाया गया है. यह नीति लोकतंत्र में लोगों को शिक्षित करने के बजाय उन पर चीजें थोपने जैसी लग रही है, जिससे यू-टर्न की स्थिति बनती है. एक अन्य टिप्पणी में नेताओं की निर्धारित आयु न होने पर भी सवाल उठाया गया है.