भारत में काम और जिंदगी के बैलेंस को लेकर चर्चाएं और बहस कोई नई बात नहीं है. इस पर लोग सालों से बहस करते आ रहे हैं. लंबे वर्क आवर, वीकेंड पर भी कॉल और मेल वगैरह ने एक कर्मचारी के जीवन को 80 प्रतिशत तक प्रोफेशनल बना दिया है बाकी की बची हुई सामाजिक जिंदगी वो हफ्ते में मिलने वाले वीक ऑफ पर जी लेता है. लेकिन भारत के जाने माने उद्योगपति एनआर नारायण मूर्ति ने इसी बात को लेकर एक बार फिर बयान दिया है और कहा है कि हफ्ते में 72 घंटे काम करना बेहतर है बजाए इसके कि आप हफ्ते में केवल पांच या केवल दिन के 9 घंटे काम करें. अब उनके इस बयान ने एक बार फिर बवाल खड़ा कर दिया है और सोशल मीडिया पर इसे लेकर एक बार फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.
नारायण मूर्ति ने फिर से दोहराया 72 घंटे वाला राग
दरअसल, हाल ही में फिर से एनआर नारायण मूर्ति ने एक इंटरव्यू में कहा है कि "चीन में एक कहावत है, 9,9,6. आप जानते हैं इसका क्या मतलब है? सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक हफ्ते में 6 दिन काम. और यह 72 घंटे का वर्किंग वीक है". इसके अलावा उन्होंने कहा कि युवा भारतीयों को भी यही दिनचर्या अपनानी चाहिए. अब इस बयान को लेकर सोशल मीडिया यूजर्स ने भी तुरंत रिएक्शन दिए हैं जो कि अब लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं.
इससे पहले भी दे चुके हैं ऐसा बयान, एसएन सुब्रह्मण्यन ने भी धोए थे बहती गंगा में हाथ
आपको बता दें कि इससे पहले भी नारायण मूर्ति भारतीयों को हफ्ते में 72 घंटे काम करने की सलाह दे चुके हैं. वहीं लार्सन एंड टुब्रो (Larsen & Toubro) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने भी 90 घंटे काम करने का बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि मुझे दुख है कि मैं आप से संडे को काम नहीं करवा पा रहा हूं. आप छुट्टी लेकर अपनी बीवी को कितनी देर तक निहार सकते हैं. इससे अच्छा आप काम ही कर लीजिए.
यह भी पढ़ें: हार के बाद नरेश मीणा ने हाथ में बंधे धागे खोले! यूजर्स बोले भगवान से भरोसा उठ गया? वीडियो वायरल
अब यूजर्स ने सुना दी खरी खोटी
सोशल मीडिया पर जैसे ही नारायण मूर्ति का 72 घंटे वाला राग वायरल हुआ वैसे ही इंटरनेट यूजर्स ने भी इसे लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू कर दिया जो अब तक थमा नहीं है. एक यूजर ने लिखा...अंकल आपको करना है आप कीजिए, हमारा घर परिवार सब है. एक और यूजर ने लिखा...परिवार से बढ़कर कुछ नहीं होता. तो वहीं एक और यूजर ने लिखा...45 घंटा काम करके भी आप अपने परिवार को पाल सकते हो. सब बराबर नहीं हो सकते इसलिए अपनी सोच अपने तक रखिए इसे थोपिए मत.