Work From Home Scam: दिल्ली पुलिस ने एक बड़े वर्क-फ्रॉम-होम घोटाले का पर्दाफाश करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है. इन आरोपियों पर एक शख्स से 17 लाख रुपये से ज्यादा की ठगी करने का आरोप है. यह गिरोह सोशल मीडिया के ज़रिए आकर्षक ऑनलाइन जॉब ऑफर का झांसा देकर लोगों को फांसता था और फिर उन्हें क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी जालसाजी में उलझा देता था.

Continues below advertisement

कैसे हुआ खुलासा?

पुलिस के अनुसार, 27 मई को एक युवक ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसे वेबसाइट रिव्यू करने के बदले पैसे कमाने का ऑफर दिया गया. शुरुआत में उसे हर रिव्यू के 50 रुपये मिले जिससे उसे यह स्कीम असली लगी. लेकिन फिर उसे ज्यादा कमाई का लालच देकर प्रीपेड क्रिप्टो ट्रांजैक्शन करने को कहा गया. धीरे-धीरे ठगों ने उससे कई बहानों से और पैसे जमा करवा लिए और कुल 17.49 लाख रुपये की ठगी कर डाली.

कौन हैं आरोपी?

गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान अंकुर मिश्रा (22), क्रतरथ (21), विश्वास शर्मा (32) और केतन मिश्रा (18) के रूप में हुई है. पुलिस जांच में पता चला कि शिकायतकर्ता के अकाउंट से 5 लाख रुपये एक निजी बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए थे जो अंकुर मिश्रा के नाम पर था. बैंक और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उसकी पहचान की गई.

Continues below advertisement

कहां-कहां फैल था ये गिरोह?

तकनीकी जांच में सामने आया कि यह ठगी का नेटवर्क दिल्ली तक सीमित नहीं था, बल्कि लखनऊ, आगरा, भोपाल और शिवपुरी जैसे शहरों में भी सक्रिय था. इन सभी जगहों पर पुलिस की छापेमारी के बाद चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.

कैसे करते थे मनी लॉन्ड्रिंग?

DCP अमित गोयल के अनुसार, यह गैंग पैसे को कई बैंक खातों के जरिए घुमाता था ताकि ट्रेस न हो सके. अंत में ये रकम को USDT (Tether) जैसी क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया जाता था ताकि बैंक और जांच एजेंसियों की नजर से बचा जा सके. फिलहाल पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों और पैसों की लोकेशन का पता लगाने में जुटी है.

खुद को ऐसे रखें सुरक्षित

  • किसी भी नौकरी के ऑफर में अगर बहुत अधिक पैसे बहुत कम काम के बदले मिल रहे हों तो सतर्क हो जाएं.
  • अगर ईमेल या जॉब पोस्टिंग में बार-बार टाइपो या गलतियां दिखें तो वो पेशेवर कंपनी नहीं हो सकती.
  • यदि नौकरी का विवरण अस्पष्ट हो या काम की जिम्मेदारियां स्पष्ट न हों तो उस ऑफर से दूर रहें.
  • जो नौकरी जॉइन करने से पहले रजिस्ट्रेशन, ट्रेनिंग या सॉफ्टवेयर के नाम पर पैसे मांगती है, वह अक्सर फ्रॉड होती है.
  • हमेशा यह जांचें कि कंपनी का वैध ऑफिस एड्रेस, फोन नंबर और ऑनलाइन उपस्थिति है या नहीं.

यह भी पढ़ें:

158 साल पुरानी कंपनी इस छोटी सी चूक से हो गई तबाह! साइबर हमले से खत्म हुआ सबकुछ