स्मार्टफोन कंपनियां हर साल अपने फ्लैगशिप डिवाइस लॉन्च करती हैं. ऐप्पल हर साल सितंबर में, गूगल आमतौर पर अगस्त और सैमसंग जनवरी में अपनी लेटेस्ट लाइनअप लॉन्च करती है. इसी तरह दूसरी कंपनियां भी हर साल अपने प्रीमियम डिवाइस को अपग्रेड कर बाजार में उतारती हैं. हालांकि, आमतौर पर अधिकतर बार नए फोन पुराने मॉडल्स जैसे ही नजर आते हैं और हर बार इनमें इतनी अपडेट्स भी नहीं दी जाती कि लोग अपने पुराने फोन छोड़कर नए के पीछे पागल हो जाएं. कुछ लोग ऐसे जरूर होते हैं, जिन्हें हर साल लेटेस्ट मॉडल चाहिए होता है, लेकिन ज्यादातर लोगों को इससे फर्क नहीं पड़ता. फिर क्यों कंपनियां हर साल फ्लैगशिप मॉडल लॉन्च करती रहती हैं और ग्राहकों के लिए इस प्रोसेस में क्या है? आज के एक्सप्लेनर में हम ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेंगे. 

Continues below advertisement

नए फोन और इनोवेशन

कुछ साल पहले फोन में टचस्क्रीन मिलना, एक की जगह दो कैमरे आना और मल्टीटच सपोर्ट जैसी चीजों को बड़ा माना जाता था, लेकिन पिछले करीब एक दशक में पिक्चर पूरी चेंज हो गई है. अब स्मार्टफोन इतने एडवांस हो गए हैं कि उनमें इंप्रूवमेंट का ज्यादा स्कोप नहीं बचा है. अब कंपनियां पूरे फोन को छोड़कर एकाध हाईलाइट पर ज्यादा फोकस करती हैं. हर साल लॉन्च होने वाले फोन का लुक भी सेम होता जा रहा है और फील भी सेम रहती है और 90-95 प्रतिशत यूजर्स नए फोन से भी वैसे ही काम लेते हैं, जैसे वो अपने पुराने फोन से लेते आए थे. 

Continues below advertisement

फिर हर साल नए फ्लैगशिप क्यों आते रहते हैं?

इस मामले में ग्राहकों को कंपनियों का अलग-अलग नजरिया है. कई लोगों का मानना है कि कंपनियों को हर साल नया फोन लाने की जगह उसके पहले से मौजूद मॉडल्स को बेहतर बनान चाहिए. कंपनियों के लिए यह पूरी तरह अलग हो सकता है. दरअसल, करीब 40 प्रतिशत यूजर्स ऐसे हैं, जो हर 2-3 साल बाद अपना फोन चेंज करते हैं, जबकि कई ऐसे भी हैं, जो अपने फोन को इससे भी लंबा चलाते हैं. ऐसे में हो सकता है कि आईफोन 16 वाले यूजर को आईफोन 17 ज्यादा अपग्रेडेड न लगे, लेकिन आईफोन 12 या आईफोन 13 वाले यूजर्स के लिए यह अपग्रेडेड मॉडल है. ऐसा ही दूसरी कंपनियों के ग्राहकों के साथ भी होता है. 

डिमांड को पूरा करना है जरूरी 

पिछले कुछ सालों से प्रीमियम और अल्ट्रा प्रीमियम स्मार्टफोन यानी महंगे स्मार्टफोन की डिमांड बढ़ी है. भारत की बात करें तो अब ऐप्पल सबसे ज्यादा फोन बेचने वाली टॉप 5 कंपनियों में शामिल हो गई है. ऐसे में अगर लोग ज्यादा पैसा चुकाने को तैयार हैं तो कंपनियों के लिए भी ट्रेंडी और फ्लैगशिप मॉडल लाना जरूरी हो जाता है. इस मौके को भुनाने के लिए कंपनियां अब कुछ महीनों के अंतराल पर ही नए फोन लॉन्च करने लगी है. सैमसंग के S-सीरीज औप फोल्डेबल फोन की लॉन्चिंग के बीच करीब 6 महीनों का समय है. इसी तरह अब ऐप्पल भी हर 6 महीने बाद नए मॉडल लॉन्च करने का प्लान बना रही है. 

कंपीटिशन का भी रहता है दबाव

स्मार्टफोन मार्केट में कंपीटिशन बहुत टफ हो गया है और कंपनियां हर मामले में एक-दूसरे को पछाड़ने के लिए तैयार रहती हैं. ऐसे में अगर कोई कंपनी अपने प्रीमियम डिवाइस लॉन्च नहीं कर रही है तो उसके ग्राहकों के दूसरी कंपनी पर शिफ्ट होने का खतरा रहता है. साथ ही उन्हें हर साल नए मॉडल लॉन्च करने से ट्रेंड के साथ चलने और ग्राहकों की डिमांड को पूरा करने का भी मौका मिलता है. 

इम्प्रैशन का भी पड़ता है फर्क

कंपनियों की झोली भरने के साथ-साथ फ्लैगशिप स्मार्टफोन ब्रांड के प्रति लोगों का नजरिया भी बदलते हैं. अगर किसी कंपनी का एक फोन हिट हो जाए तो दूसरे प्रोडक्ट्स पर भी लोगों की नजर जाती है. इसी तरह अगर कंपनी हर साल नए फ्लैगशिप डिवाइस लॉन्च करती रहती है तो लोगों की नजरें इस पर टिकी होती है. इसके साथ ही हर साल फ्लैगशिप मॉडल्स लॉन्च कर कंपनियां मार्केट में अपनी मौजूदगी का एहसास करवाती हैं कि वो टिकी हुई हैं और ट्रेंड के हिसाब से अपनी टेक्नोलॉजी में बदलाव कर रही हैं. इसके लिए पहले प्रोडक्ट्स से जुड़ी लीक्स सामने आती है, फिर प्रोडक्ट्स को ऑफिशियली लॉन्च किया जाता है और रिव्यू, बेंचमार्क्स और कंपेरिजन तक यह सिलसिला चलता रहता है. इस कारण लोगों के दिमाग पर कंपनी का नाम छाया रहता है. 

ग्राहकों के लिए भी इसमें कई फायदे

अगर आपको लगता है कि स्मार्टफोन को लेकर खास इनोवेशन नहीं हो रहा है और हर साल मिलते-जुलते प्रोडक्ट्स ही लॉन्च हो रहे हैं तो आप अकेले नहीं हैं. दरअसल, आज या कल इनोवेशन की रफ्तार धीमी होनी थी और ऐसा लग रहा है कि अगले कुछ सालों तक मौजूदा ट्रेंड ही चलता रहेगा. इसके बावजूद अब ऐसे फ्लैगशिप डिवाइस मौजूद हैं, जो सालों चल सकते हैं और कंपनियां भी 5-7 साल तक की अपडेट्स देने का प्रॉमिस कर रही है. इस ट्रेंड का एक और फायदा यह हुआ है कि अब लोगों को अपना फोन अपग्रेड करने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता. साथ ही अब फ्लैगशिप मॉडल्स वाले फीचर मिड-रेंज स्मार्टफोन में भी मिलने लगे हैं.

ये भी पढ़ें-

2026 में बुरा हाल होगा! इस रिपोर्ट ने उड़ा दी ऐप्पल, सैमसंग समेत सारी मोबाइल कंपनियों की नींद