Bloatware: कई बार आपका फोन या लैपटॉप बिल्कुल नया होता है लेकिन कुछ ही महीनों में उसकी रफ्तार कम होने लगती है. ऐप्स खुलने में समय लगता है, बैटरी ज्यादा खर्च होती है और डिवाइस गर्म भी होने लगता है. अक्सर लोग समझते हैं कि हार्डवेयर खराब हो गया है जबकि असली वजह कुछ और होती है ब्लोटवेयर. यह ऐसे ऐप्स का जाल है जो बिना जरूरत के आपके सिस्टम की जान खींच लेते हैं.

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ब्लोटवेयर क्या होता है और यह कैसे घुसता है?

ब्लोटवेयर ऐसे प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स होते हैं जिन्हें आप डिलीट भी नहीं कर पाते. ये फोन कंपनियों, लैपटॉप ब्रांड्स या OS डेवलपर्स की तरफ से पहले से डिवाइस में भरे होते हैं. कई बार इनमें थर्ड-पार्टी ऐप्स भी शामिल होते हैं जिन्हें कंपनियां विज्ञापन या पार्टनरशिप के लिए जोड़ देती हैं. ये ऐप्स बैकग्राउंड में अपने-आप चल पड़ते हैं और RAM, स्टोरेज, इंटरनेट डेटा और बैटरी सब खा जाते हैं.

कैसे बर्बाद करते हैं ये आपके डिवाइस की स्पीड?

ब्लोटवेयर की सबसे बड़ी समस्या ये है कि आप चाहे उन्हें इस्तेमाल करें या नहीं फिर भी ये सिस्टम के संसाधनों को पकड़ कर बैठे रहते हैं. जैसे ही फोन ऑन होता है, ये अपने सर्वर से कनेक्ट होने की कोशिश करते हैं, नोटिफिकेशन भेजते हैं और लगातार अपडेट लेते रहते हैं. इससे फोन की प्रोसेसिंग स्पीड कम हो जाती है और असली जरूरी ऐप्स को RAM नहीं मिल पाती. लैपटॉप में तो कई बार ये CPU को इतना ओवरलोड कर देते हैं कि फैन तेज चलने लगता है और सिस्टम हैंग होने लगता है.

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क्या ब्लोटवेयर सिक्योरिटी के लिए भी खतरा है?

स्पीड की समस्या के अलावा ये आपके डेटा के लिए भी जोखिम बन सकते हैं. कई ब्लोटवेयर आपकी लोकेशन, ब्राउज़िंग पैटर्न, डिवाइस एक्टिविटी और यहां तक कि कॉन्टैक्ट्स तक एक्सेस मांगते हैं. आप चाहे इन्हें कभी न खोलें, फिर भी ये बैकग्राउंड में डाटा कलेक्ट कर सकते हैं जो लंबी अवधि में आपकी प्राइवेसी के लिए खतरनाक है.

कैसे बचाएं अपने डिवाइस को ब्लोटवेयर के असर से?

सबसे पहले तो जरूरत न होने वाले प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स को डिसेबल कर दें. एंड्रॉयड में ऐप इंफ़ो से इन्हें रोका जा सकता है जबकि विंडोज़ लैपटॉप में Apps & Features से अनइंस्टॉल करने का विकल्प होता है. अगर आपका डिवाइस अनुमति देता है तो Debloat या Clean OS जैसे फीचर्स का इस्तेमाल किया जा सकता है. नए डिवाइस खरीदते समय यह भी देखें कि ब्रांड अपनी UI में कितना ब्लोटवेयर डालता है.

ब्लोटवेयर दिखने में साधारण ऐप्स होते हैं लेकिन ये आपके फोन और लैपटॉप की स्पीड पर भारी असर डालते हैं. अगर आप इन्हें पहचानकर समय रहते कंट्रोल कर लें तो आपका डिवाइस सालों तक नए जैसा परफॉर्म कर सकता है.

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