जब भी आप किसी वेबसाइट पर जाते हैं तो एक पॉप-अप बैनर आता है. इसमें लिखा होता है कि आप कुकीज एक्सेप्ट करना चाहते हैं या रिजेक्ट. कई लोग इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते और कभी एक्सेप्ट तो कभी रिजेक्ट कर देते हैं. लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इन्हें एक्सेप्ट या रिजेक्ट करने से बहुत फर्क पड़ता है. इस चॉइस से ही यही डिसाइड होता है कि कोई वेबसाइट आपके लिए कैसे काम करेगी और आपकी पर्सनल इंफोर्मेशन को कैसे स्टोर किया जाएगा. ये आपको बार-बार लॉगिन के झंझट से बचा सकती हैं तो आपको बार-बार विज्ञापन भी दिखा सकती हैं.

Continues below advertisement

क्या होती हैं कुकीज और कैसे करती हैं काम?

कुकीज ऐसे छोटी फाइलें होती हैं, जो वेबसाइट आपके डिवाइस पर स्टोर करती हैं. इनका मुख्य काम इंफोर्मेशन स्टोर करना होता है ताकि यूजर का एक्सपीरियंस बेहतर हो और उसके लिए वेबसाइट ठीक तरीके से फंक्शन करती रहें. ये एसेंशियल, फंक्शनल, एनालिटिक्स और एडवरटाइजिंग समेत चार तरह की होती हैं. इनका काम होता है-

Continues below advertisement

एसेंशियल कुकीज - वेबसाइट के ठीक तरीके से फंक्शन के लिए होती हैं. इन्हें रिजेक्ट नहीं किया जा सकता.फंक्शनल कुकीज - इनका काम लैंग्वेज और रीजन प्रेफरेंस जैसी जानकारी को स्टोर करना होता है.एनालिटिक्स कुकीज - यूजर के साइट से इंटरेक्शन से जुड़े डेटा स्टोर करती हैं.एडवरटाइजिंग कुकीज - ये ब्राउजिंग पर नजर रखती है और यूजर को टारगेटेड एडवरटाइजिंग दिखाती हैं. 

एक्सेप्ट या रिजेक्ट करने से क्या होता है?

अगर आप पॉप-अप आने पर एक्सेप्ट ऑल कर देते हैं तो हर टाइप की कुकीज को फुल एक्सेस मिल जाती है. इसका मतलब है कि एडवरटाइजर्स और थर्ड पार्टीज भी आपकी ब्राउजिंग पर नजर रख सकते हैं. इसी आधार पर आपको टारगेटेड विज्ञापन दिखाए जाते हैं. वहीं अगर आप सारी रिजेक्ट कर देते हैं तो इससे प्राइवेसी तो बनी रहेगी, लेकिन वेबसाइट पर आपका एक्सपीरियंस सीमित हो सकता है और आपको हर बार लॉगिन करने जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

ये भी पढ़ें-

भारतीयों को पसंद है पुराना आईफोन, जमकर कर रहे खरीदारी, सर्वे में हुआ खुलासा