मोबाइल यूजर्स के लिए अब स्पैम, जंक और मार्केटिंग कॉल को पहचान पाना आसान हो जाएगा. दरअसल, अब कॉलिंग स्क्रीन पर नंबर के साथ-साथ कॉलर का नाम भी दिखेगा. इसके लिए दूससंचार विभाग और टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने टेलीकॉम कंपनियों को एक सप्ताह के भीतर किसी भी एक सर्किल में यह सर्विस शुरू करने के निर्देश दिए हैं. यह सर्विस शुरू होते ही कॉलर के नंबर के साथ-साथ नाम दिखना भी शुरू हो जाएगा. 

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फ्रॉड पर लग सकेगी लगाम

कॉलर स्क्रीन पर दिखने वाला नाम वही होगा, जो यूजर ने मोबाइल नंबर खरीदते समय अपनी आईडी में बताया था. यह एक डिफॉल्ट फीचर होगा और अगर कोई यूजर इसे यूज नहीं करना चाहता तो उसे इसे डिएक्टिवेट करना होगा. बता दें कि टेलीकॉम कंपनियां इस सर्विस को लेकर पिछले साल मुंबई और हरियाणा में ट्रायल कर चुकी हैं.

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TRAI ने मानी दूरसंचार विभाग की सलाह 

पिछले साल फरवरी में TRAI ने दूरसंचार विभाग को 'कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन' नाम की इस सर्विस की सिफारिश की थी. TRAI ने कहा था कि इसे तभी एक्टिव किया जाना चाहिए, जब कॉल रिसीव करने वाला यूजर इसके लिए रिक्वेस्ट करे. इसका जवाब देते हुए दूरसंचार विभाग ने TRAI को बताया कि यह सर्विस डिफॉल्ट होनी चाहिए. अगर किसी यूजर को इसका यूज नहीं करना है तो वो इसे डिएक्टिवेट करवा सकता है. TRAI ने विभाग की इस सलाह को मान लिया है. 

फ्रॉड कॉल पर लग सकेगी लगाम

TRAI और दूरसंचार विभाग के इस कदम से फ्रॉड कॉल पर लगाम लगने की उम्मीद की जा रही है. अब यूजर को कॉल उठाने से पहले ही यह पता चल जाएगा कि उसका कोई जानकार व्यक्ति कॉल कर रहा है या कोई अनजान व्यक्ति उससे संपर्क करने की कोशिश में है. इस तरह लोग हैकर्स और स्कैमर्स के जाल में नहीं आएंगे और साइबर क्राइम से सुरक्षित रह पाएंगे.

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