एक समय था, जब स्मार्टफोन को चार्ज करने में कई घंटों का समय लगता था. बैटरी को थोड़ा-सा चार्ज करने के भी 1-2 घंटे का इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब फास्ट चार्जिंग के कारण चीजें बदल गई हैं. अब कुछ ही मिनटों में फोन की बैटरी फुल चार्ज हो जाती है. क्या आपने कभी सोचा है कि चार्ज लगाने के कुछ ही मिनटों में फोन पूरी तरह चार्ज कैसे हो जाता है? आज हम इसी सवाल का जवाब लेकर आए हैं. 

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कैसे काम करती है स्टैंडर्ड चार्जिंग?

फास्ट चार्जिंग को समझने से पहले स्टैंडर्ड चार्जिंग समझना जरूरी है. स्टैंडर्ड चार्जिंग में जब आप फोन को पावर प्लग में लगाते हैं तो इलेक्ट्रिक पावर (Watts) करंट (Amperes) में बदलकर केबल के जरिए बैटरी तक पहुंचती है. इससे फोन में लगी बैटरी में केमिकल रिएक्शन शुरू हो जाता है, जिस कारण आयन्स नेगेटिव टर्मिनल से पॉजीटिव टर्मिनल की तरफ जाते हैं, जहां एनर्जी स्टोर होती है. इन बैटरी में एक इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल (इंटीग्रेटेड सर्किट) लगा होता है, जो बैटरी को ओवरचार्जिंग से रोकता है. 

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फास्ट चार्जिंग इससे कैसे अलग है?

फास्ट चार्जिंग भी इसी सिद्धांत पर काम करती है, लेकिन इसमें स्टैंडर्ड चार्जिंग की तुलना में अधिक पावर बैटरी तक पहुंचती है. स्टैंडर्ड चार्जिंग का एडेप्टर 2-4.2 volts की रेंज में काम करता है और इसमें कम करंट फ्लो होता है. इसकी तुलना में फास्ट चार्जिग एडेप्टर 5V-12V के लिए कैपेबल होता है और यह तेज करंट फ्लो करता है. इससे बैटरी जल्दी चार्ज होती है. यह बैटरी को जल्दी चार्ज करने के लिए ज्यादा से ज्यादा करंट भेजता है. फास्ट चार्जिंग बैटरी की पीक वोल्टेज कैपेसिटी ज्यादा होती है और इनके इंटीग्रेटेड सर्किट को खास तरीके से डिजाइन किया जाता है ताकि बैटरी को होने वाले डैमेज को रोका जा सके.

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