भारत में सैटेलाइट इंटरनेट शुरू होने का इंतजार और लंबा हो सकता है. स्पेक्ट्रम प्राइस पर टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (DoT) के बीच सहमति न बन पाने के कारण सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के कमर्शियल तौर पर शुरू होने में अभी और समय लग सकता है. बताया जा रहा कि यूजर्स को इसके लिए 3-6 महीने का और इंतजार करना पड़ सकता है. आइए इस मामले के बारे में विस्तार से जानते हैं.

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इन कंपनियों को मिले हैं लाइसेंस

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट शुरू करने के लिए स्टारलिंक, Eutelsat OneWeb और जियो सैटेलाइट को लाइसेंस मिल चुके हैं और इन कंपनियों ने दूसरी रेगुलेटरी अप्रूवल भी ले ली हैं, लेकिन अभी इन्हें स्पेक्ट्रम आवंटित नहीं हुए हैं और न ही प्राइसिंग को लेकर नियम बने हैं. इसके चलते इस सर्विस के रोल आउट होने में देरी हो रही है.

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अभी प्रोसेस में कितना समय और लगेगा?

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोट्स के मुताबिक, अभी तक TRAI और DoT के बीच स्पेक्ट्रम प्राइसिंग को लेकर सहमति नहीं बनी है. इसका प्रपोजल पहले स्टैंडिंग कमेटी में जाएगा. इसके बाद अप्रूवल के लिए यह डिजिटल कम्यूनिकेशन कमीशन में जाएगा. यहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे केंद्रीय मंत्री या केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा. यहां से हरी झंडी मिलने के बाद वायरलेस प्लानिंग एंड कॉर्डिनेशन विंग इससे जुड़े नियम बनाएगी और पब्लिक कंसल्टेशन के लिए 30 दिन का समय दिया जाएगा.

कैसे काम करता है सैटेलाइट इंटरनेट?

जैसा नाम से ही पता चल रहा है, सैटेलाइट इंटरनेट से लोगों को इंटरनेट के जरिए इंटरनेट सर्विस प्रदान की जाती है. सैटेलाइट टीवी की तरह ही सैटेलाइट डिश जियोस्टेशनरी, लो या हाई अर्थ ऑरबिट में मौजूद सैटेलाइट से रेडियो वेव्स रिसीव करती हैं और यूजर को इंटरनेट मिल पाता है. सैटेलाइट इंटरनेट को केबल, फाइबर और फोन लाइन आदि की जरूर नहीं पड़ती. इसलिए इसके जरिए रिमोट इलाकों में भी कनेक्टिविटी दे पाना आसान हो जाता है. 

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