Cyber Fraud: पुणे के एक साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट फ्रॉड का शिकार हो गए जिसमें उन्हें करीब ₹73.69 लाख का नुकसान हुआ. ऑनलाइन सुरक्षा के गहरे ज्ञान के बावजूद वे एक चालाक ट्रेडिंग स्कैम में फंस गए. ठगों ने उन्हें चेन्नई, भद्रक, फीरोज़पुर, उल्हासनगर, पिंपरी-चिंचवड़ और गुरुग्राम जैसे अलग-अलग शहरों के खातों में पैसे ट्रांसफर करवाए. यह घटना इस बात का संकेत है कि फेक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म भारत में किस तेजी से फैल रहे हैं जो लोगों को ऊंचे मुनाफे के लालच में फंसाते हैं.

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कैसे रचा गया ठगी का जाल

यह पूरा मामला अगस्त में शुरू हुआ जब पीड़ित को एक अंतरराष्ट्रीय नंबर से WhatsApp पर मैसेज मिला, जिसमें एक लिंक था. लिंक पर क्लिक करते ही वह एक ग्रुप चैट में जुड़ गया जहां 100 से ज्यादा लोग शेयर मार्केट से जुड़ी कथित कमाई के स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे थे. ग्रुप एडमिन ने उसे एक रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने और एक स्पेशल ट्रेडिंग ऐप में लॉगिन करने को कहा जहां उसे “एक्सपर्ट ट्रेडिंग गाइडेंस” देने का वादा किया गया.

8 अगस्त से 1 सितंबर के बीच पीड़ित ने 55 बार में ₹73.69 लाख अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किए. जब उसने अपने अकाउंट में दिख रहे ₹2.33 करोड़ निकालने की कोशिश की तो स्कैमर्स ने 10% टैक्स की मांग की. तभी उसे एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो चुका है और उसने पुणे साइबरक्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

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पुलिस की चेतावनी और खुलासे

जांच में पता चला कि इस तरह के स्कैम WhatsApp और Telegram पर इन्वेस्टमेंट ग्रुप के रूप में फैलाए जाते हैं. ठग खुद को SEBI-रजिस्टर्ड सलाहकार या विदेशी निवेशक बताकर यूज़र्स को नकली ट्रेडिंग ऐप डाउनलोड करने के लिए कहते हैं.

इन ऐप्स का इंटरफेस असली प्लेटफॉर्म जैसा होता है जिससे यूज़र को यकीन हो जाता है कि वह असली स्टॉक्स में पैसा लगा रहा है. लेकिन जैसे ही पैसे निकालने की बारी आती है, ऐप या वेबसाइट गायब हो जाती है. SEBI और पुलिस की लगातार चेतावनियों के बावजूद, ऐसे स्कैम्स अब साइबर एक्सपर्ट्स को भी निशाना बना रहे हैं.

ऐसे बचें ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट फ्रॉड से

साइबर अधिकारियों ने नागरिकों को चेताया है कि किसी भी इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म की वैधता हमेशा जांचें.

  • अनजान लिंक, मैसेज या ग्रुप से दूर रहें.
  • किसी अज्ञात व्यक्ति या कंपनी के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर न करें.
  • अपने मोबाइल और कंप्यूटर में सिक्योरिटी अपडेट रखें.
  • टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और स्ट्रॉन्ग पासवर्ड का इस्तेमाल करें.
  • बैंक ट्रांजेक्शन्स पर नियमित नज़र रखें.

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