Perovskite Camera: न्यूक्लियर मेडिसिन तकनीकें जैसे SPECT स्कैन अब तक डॉक्टरों को दिल की धड़कन, खून के प्रवाह और शरीर में छिपी बीमारियों को देखने में मदद करती रही हैं. लेकिन इन स्कैनर्स में इस्तेमाल होने वाले डिटेक्टर्स बेहद महंगे और जटिल होते हैं. अब नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी (अमेरिका) और सूझो यूनिवर्सिटी (चीन) के शोधकर्ताओं ने दुनिया का पहला पेरोव्स्काइट-बेस्ड डिटेक्टर बनाया है जो गामा रेज को बेहद सटीकता से पकड़कर SPECT इमेजिंग को और भी साफ, किफायती और सुरक्षित बना देगा.

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पेरोव्स्काइट क्यों है खास?

पेरोव्स्काइट क्रिस्टल पहले सोलर एनर्जी में क्रांति ला चुके हैं और अब इन्हें मेडिकल इमेजिंग में इस्तेमाल किया जा रहा है. रिसर्च टीम का कहना है कि इस तकनीक से बने डिटेक्टर्स न केवल ज्यादा सटीक इमेज देंगे बल्कि मरीजों को कम रेडिएशन और छोटे स्कैन समय से फायदा मिलेगा.

पुराने डिटेक्टर्स की कमियां

  • अभी तक CZT (कैडमियम जिंक टेलुराइड) और NaI (सोडियम आयोडाइड) क्रिस्टल्स से बने डिटेक्टर्स इस्तेमाल में आते हैं.
  • लाखों डॉलर तक कीमत, बनाने में मुश्किल और बेहद नाजुक.
  • सस्ते लेकिन भारी-भरकम और इमेज उतनी साफ नहीं, मानो धुंधले शीशे से देखना.
  • इन सीमाओं को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने पेरोव्स्काइट क्रिस्टल्स पर भरोसा किया.

रिकॉर्ड तोड़ इमेजिंग क्षमता

2013 में पहली बार साबित हुआ था कि पेरोव्स्काइट क्रिस्टल्स गामा किरणों और एक्स-रे को पहचान सकते हैं. अब इसी तकनीक को आगे बढ़ाते हुए शोधकर्ताओं ने पिक्सल-बेस्ड सेंसर बनाया है, बिल्कुल स्मार्टफोन कैमरे के पिक्सल्स की तरह. इस सेंसर ने अब तक की सबसे बेहतर ऊर्जा रेज़ोल्यूशन दी. बेहद हल्के सिग्नल को भी कैप्चर किया, जिससे क्लिनिकल स्कैनर्स में बारीक़ से बारीक़ डिटेल्स तक दिखाई दीं. स्कैन तेज़, स्थिर और सुरक्षित हो गया.

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मरीजों को कैसे मिलेगा फायदा

नए पेरोव्स्काइट कैमरे से बने डिटेक्टर्स ज्यादा संवेदनशील हैं इसलिए मरीजों को.

कम समय तक स्कैन करवाना होगा, कम रेडिएशन की खुराक दी जाएगी और डॉक्टरों को साफ़-सुथरी डायग्नोस्टिक इमेज मिलेगी.

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