उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने मोबाइल गेमिंग की लत को लेकर नई बहस शुरू कर दी है. यहां एक 13 वर्षीय बच्चे की कथित तौर पर फ्री फायर गेम खेलते हुए मौत हो गई. एक्सपर्ट्स इसे 'सडन गेम डेथ' का केस मान रहे हैं. यह ऐसा मामला होता है, जिसमें लगातार लंबे समय तक गेम खेलने के दौरान या उसके बाद अचानक लोगों की मौत हो जाती है. आइए पूरा मामला डिटेल में जानते हैं.

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गेम-गेम खेलते हुई बच्चे की मौत

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गेम खेलते हुए बच्चा बेड पर सो गया. परिजनों उसे पहले यह समझकर नहीं उठाया कि यह सो रहा है. कुछ देर बाद जब वह बार-बार जगाने पर भी नहीं जागा तो उन्हें पता चला कि बच्चे की मौत हो गई है. इससे इलाके में दहशत फैल गई. बता दें कि पिछले कुछ समय से टीनएजर्स के बीच मोबाइल गेमिंग खूब पॉपुलर हो रही है. इसके चलते नींद की कमी और मौत होने जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं. 

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यह क्यों होता है?

मेडिकल रिसर्च में सामने आया है कि कई घंटों तक बिना रुके गेमिंग करने से स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं. लगातार एक ही पॉश्चर में बैठे रहने से फेफड़ों में खून के थक्के जमने लगते हैं. गेमिंग के दौरान दिमाग पर लगातार स्ट्रेस रहने से हार्टबीट का असामान्य होने और यहां तक की ब्रेन हेमरेज का भी खतरा रहता है.

क्या कह रहे एक्सपर्ट्स?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सडन गेमर डेथ में किसी प्रकार की चोट नहीं लगती, लेकिन यह मानसिक सेहत पर प्रभाव डालती है. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन और अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का कहना है कि यह कंडीशन इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर से जुड़ी हुई है, जिसमें गेमिंग की लत मानसिक स्वास्थ्य, पॉश्चर और हार्ट की एक्टिविटी को प्रभावित करती है. 1982 के बाद से लेकर अब तक दुनियाभर में सडन गेम डेथ के 24 केस रिपोर्ट हो चुके हैं. ऐसे मामलों में मरने वालों की उम्र 11 से 40 साल के बीच रही है. इनमें से अधिकतर मामले सिंगापुर, मलेशिया और इंडोनेशिया से सामने आए हैं.

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