Google Gemini Photo Trend: इन दिनों सोशल मीडिया पर Nano Banana टूल से बनी तस्वीरों की धूम मची हुई है. जिसे देखो, वह अपनी 3D figurine या रेट्रो-स्टाइल पोर्ट्रेट शेयर कर रहा है. कई लोगों के लिए ऐसा करना मजेदार हो सकता है, लेकिन क्या यह सुरक्षित है? जानकारों का कहना है कि इस तरह अपनी फोटोज को नया लुक देना भले ही चुटकियों का खेल लग सकता है, लेकिन यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं है. आइए जानते हैं कि इस ट्रेंड को लेकर किस तरह की सुरक्षा चिंताएं जताई जा रही हैं.

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क्या वाटर मार्किंग पर किया जा सकता है भरोसा?

गूगल का कहना है कि Nano Banana से जनरेट या एडिट की गई हर इमेज पर एक मेटाडाटा टैग के साथ एक अदृश्य वाटर मार्क होता है. इससे यह पता चल जाता है कि कोई इमेज AI-जनरेटेड है. गूगल का कहना है कि इससे ट्रांसपेरेंसी बनी रहती है और लोगों का भरोसा बनता है. हालांकि, एक्सपर्ट्स इससे पूरी तरह सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि वाटर मार्क का पता लगाने वाले टूल्स बड़े स्तर पर इस्तेमाल नहीं होते. दूसरा ये वाटर मार्क हटाए या एडिट भी किए जा सकते हैं. उनका कहना है कि यह एक फुलप्रूफ तरीका नहीं है. 

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प्राइवेसी को लेकर चिंता

इस ट्रेंड के पीछे प्राइवेसी को लेकर भी चिंता जताई जा रही है. लोग धड़ाधड़ अपनी पर्सनल फोटो इस AI सिस्टम पर अपलोड कर रहे हैं. ऐसे में यह चिंता बढ़ गई है कि AI सिस्टम में अपलोड हो चुकी इन तस्वीरों का क्या होता है. हाल ही में IPS अधिकारी वीसी सज्जनार ने इसे लेकर यूजर्स को आगाह किया है. उन्होंने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा कि इंटरनेट पर चल रहे ट्रेंडिंग टॉपिक्स को लेकर सावधान रहें. अगर आप अपनी इंफोर्मेशन ऑनलाइन शेयर करते हैं तो स्कैम हो सकते हैं. एक ही क्लिक में आपका पैसा अपराधियों के हाथ में पहुंच सकता है. अपनी फोटो या पर्सनल डिटेल कभी भी फर्जी वेबसाइट या अनअथॉराइज ऐप्स पर शेयर न करें.

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