ऐपल के आईफोन्स को क्लोज्ड इकोसिस्टम के कारण एंड्रॉयड फोन्स की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है. हालांकि, एक ताजा विश्लेषण में पता चला है कि iOS को एंड्रॉयड के मुकाबले अधिक निशाना बनाया जा रहा है. भले ही iOS अधिक सुरक्षित होता है, लेकिन स्कैमर्स की नजरें इस पर भी लगी हुई हैं. बॉस्टन स्थित एक डेटा-सेंट्रिक क्लाउड सिक्योरिटी कंपनी लुकआउट की एक नई स्टडी कहती है कि एंड्रॉयड के मुकाबले iOS डिवाइस पर फिशिंग और दूसरे साइबर हमलों का खतरा ज्यादा है.

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एंड्रॉयड से ज्यादा iOS डिवाइसेस पर हुए हमले

2024 की तीसरी तिमाही में की गई इस स्टडी में लाखों एंड्रॉयड और iOS डिवाइसेस को शामिल किया गया था. इसमें पता चला कि 2024 की पहली तीन तिमाही के दौरान 19 प्रतिशत एंटरप्राइज iOS डिवाइस पर कम से एक एक फिशिंग अटैक हुआ. इसकी तुलना में केवल 10.9% एंटरप्राइज एंड्रॉयड पर फिशिंग अटैक हुआ. इनमें से अधिकतर फिशिंग अटैक ईमेल के जरिये हुए. 

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हालांकि, फिशिंग हमलों में ऑपरेटिंग सिस्टम की अधिक भूमिका नहीं होती है, लेकिन एक चिंता वाली बात यह भी है कि ऐपल उन कंपनियों में सबसे ऊपर है, जो अपने यूजर्स के डेटा को सरकारों के साथ शेयर करती है. यानी सरकारों को यूजर्स डेटा देना में ऐपल सबसे आगे है.

लगातार बढ़ रहा है खतरा 

लुकआउट ने कहा कि मोबाइल थ्रेट का खतरा लगातार बढ़ रहा है. साइबर अपराधी अब अपनी रणनीति बदल रहे हैं और अपने शुरुआती अटैक मोबाइल डिवाइस पर करते हैं. जानकारों का कहना है कि AI के जमाने में यह खतरा लगातार बढ़ता जाएगा और स्कैमर्स उन लोगों को अपना निशाना बनाने की कोशिश करेंगे, जो टेक्नोलॉजी को लेकर जागरुक नहीं है.

फिशिंग हमलों से खुद को ऐसे बचाएं

- सॉफ्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेट रखें.- संदिग्ध ईमेल से सतर्क रहें और अपनी संवेदनशील जानकारी शेयर न करें.- लालच देने वाले किसी भी मेल में आने वाली अटैचमेंट पर क्लिक न करें.

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