आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के आने के बाद हैकर्स भी एडवांस हो गए हैं और वो लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं. एक नए तरीके में वो एआई डीपफेक वीडियो की मदद से किसी को किडनैप हुआ दिखाते हैं और उसके फैमिली मेंबर्स से उसकी रिहाई के बदले फिरौती मांगते हैं. अमेरिकी एजेंसी FBI ने इसे लेकर वार्निंग जारी की है. आइए जानते हैं कि साइबर अपराधी कैसे इस स्कैम को अंजाम दे रहे हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है. 

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कैसे काम करता है यह स्कैम?

FBI की वार्निंग में कहा गया है कि साइबर अपराधी सोशल मीडिया और इंटरनेट पर मौजूद फोटोज और वीडियो का यूज कर रहे हैं. जनरेटिव टूल्स की मदद से वो इन फोटो-वीडियो से एक ऐसा वीडियो बना लेते हैं, जो असली लगता है. फिर इस वीडियो को पीड़ित के घरवालों के पास भेजकर फिरौती मांगी जाती है. जल्दबाजी में कई लोग इन वीडियो को वेरिफाई नहीं कर पाते और स्कैमर्स के जाल में फंस जाते हैं. 

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डराने के लिए यह तरकीब अपना रहे हैं स्कैमर्स

अपने टारगेट को पहचानने के बाद स्कैमर्स एआई टूल्स की मदद से डीपफेक वीडियो तैयार कर लेते हैं. इस वीडियो को किडनैपिंग के सबूत के तौर पर पीड़ित के परिवार को भेजा जाता है. ये वीडियो इतनी बारिकी से तैयार किए होते हैं कि इनके असली या नकली होने की पहचान कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है. साथ ही वो इन वीडियो के साथ टाइम्ड मैसेजिंग फीचर का यूज करते हैं. टाइमर बंद होने के डर से अधिकतर लोग वीडियो के असली या नकली होने का पता नहीं लगा पाते.

ऐसे खतरों से कैसे बचें?

  • ऐसे मामलों में स्कैमर्स इंटरनेट पर मौजूद लोगों के फोटो-वीडियो क्लेक्ट करते हैं. इसलिए सोशल मीडिया पर अपनी फोटो-वीडियो ध्यानपूर्वक शेयर करें. 
  • अगर आपके पास ऐसा कोई वीडियो या कोई कॉल आती है तो पहले वीडियो में दिखाए गए व्यक्ति से संपर्क करने की कोशिश करें. 
  • स्कैमर्स की कॉल आने पर घबराएं न और न ही हड़बड़ी में पैसे ट्रांसफर करें. पहले समय लेकर सोचें और खतरा महसूस होने पर कानूनी एजेंसियों से संपर्क करें. 

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