एक कानूनी लड़ाई में भारत सरकार को Elon Musk की कंपनी एक्स (पूर्व में ट्विटर) के खिलाफ जीत मिली है. कंटेट हटाने के आदेश के खिलाफ किए गए एक मुकदमे में कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि एक्स जैसी किसी भी विदेशी कंपनी को भारतीय कानून के तहत अभिव्यक्ति की आजादी का संवैधानिक अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यह अधिकार केवल भारतीय नागरिकों के लिए है और विदेशी कंपनियों को इसके तहत छूट नहीं दी जा सकती.

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क्या था मामला?

इसी साल मार्च में एक्स ने सरकार के खिलाफ मुकदमा करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. एक्स ने कहा कि सरकार अपने सहयोग पोर्टल के जरिए उसे कुछ अकाउंट्स और सोशल मीडिया पोस्ट हटाने के आदेश दे रही है. एक्स ने सहयोग को सेंसरशिप पोर्टल बताते हुए दलील दी कि कंटेट या पोस्ट हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी भी नहीं है और यह फ्री स्पीच का हनन है. इस मामले में हाई कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि एक्स को भारत में कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है.

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कोर्ट ने कही यह बात

कर्नाटक हाई कोर्ट ने मुकदमे में फैसला सुनाते हुए कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 केवल नागरिकों को अधिकार प्रदान करता है. इसके तहत राहत की मांग कर रहे याचिकाकर्ता को भारत का नागरिक होना चाहिए. अगर वह भारत का नागरिक नहीं है तो इस अनुच्छेद का लाभ नहीं उठाया जा सकता.

क्या है सहयोग पोर्टल?

अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से आपत्तिजनक कंटेट को हटाने की प्रक्रिया आसान बनाने के लिए सरकार ने सहयोग पोर्टल लॉन्च किया था. गूगल, लिंक्डइन, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और शेयरचैट समेत कई कंपनियां अभी इस पोर्टल को यूज कर रही है. बता दें कि सोशल मीडिया से पोस्ट या कंटेट हटाने के आदेश लगातार विवादों में रहते आए हैं. किसान आंदोलन के समय सरकार ने कई सोशल मीडिया पोस्ट और दूसरे कंटेट को हटाने के आदेश दिए थे. 

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