जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के विकास से फायदों के साथ-साथ कई नुकसान भी हो रहे हैं. साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि AI के जरिए साइबर खतरों की बाढ़-सी आ गई है. अब हैकर AI टूल का यूज कर रहे हैं, जो साइबर सुरक्षा के लिए नई चुनौती बन गए हैं. अब किसी गूगल कैलेंडर या आउटलुक ईमेल पर क्लिक भर करने से यूजर्स का सेंसेटिव डेटा चोरी हो सकता है और उसे इसकी भनक भी नहीं लगेगी. 

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इस वजह से और भी बढ़ रहा खतरा

इन दिनों दुनियाभर की कंपनियां AI प्रोडक्ट्स और टूल्स डेवलप करने में लगी हुई हैं. जानकारों का कहना है कि ऐसा करना उचित नहीं है क्योंकि इनसे नए जोखिम पैदा हो रहे हैं. AI टूल्स का पूरा फायदा साबित होने से पहले ही डेवलपर्स और बड़ी कंपनियां कोड लिखने लिए AI यूज कर रही हैं. कुछ स्टडीज में पता चला है कि इंसानों की तरह इन टूल्स से भी कोड में कुछ सुरक्षा कमियां रह जाती हैं,जिससे यूजर्स सेफ्टी को खतरा पैदा होता है.

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AI से किए जा रहे साइबर हमले

बीते अगस्त में AI की मदद से एक सप्लाई-चेन अटैक किया गया था. इसमें हैकर्स ने कोड रिपॉजिटरीज को मैनेज करने वाले प्लेटफॉर्म Nx पर असली जैसा दिखने वाला प्रोग्राम पब्लिश कर दिया था. इसे हजारों यूजर्स ने डाउनलोड कर लिया. इसके बाद हैकर्स ने यूजर्स के पासवर्ड, क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट और दूसरा जरूरी डेटा चुराने की कोशिश की. इसी तरह सीधे तौर पर भी यूजर्स को निशाना बनाने का प्रयास किया जा रहा है. हाल ही में अमेरिकी कंपनी एंथ्रोपिक ने एक ऐसे रैंसमवेयर कैंपेन का पता लगाया है, जो पूरी तरह AI से चल रहा था. AI ही किसी सिस्टम में खामी का पता लगाती है और फिर उस पर अटैक करती है. इतना ही नहीं, यह रैंसम मांगने का भी काम कर रही है. अब यह सब करने के लिए किसी को अच्छा कोडर होने की भी जरूरत नहीं रही है.

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