इंटरनेट की दुनिया में अब आपकी प्राइवेसी की कीमत सिर्फ 450 डॉलर (करीब 38,600 रुपये) रह गई है. दरअसल, डार्क वेब पर हैकिंग ग्रुप्स खुलेआम इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और ईमेल अकाउंट्स हैक करने की सर्विस बेच रहे हैं. ये लोग टेलीग्राम के जरिए अपने धंधे का प्रचार करते हैं और लोगों को बहकाने की कोशिश करते हैं.

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हाल ही में अहमदाबाद की एक महिला का इंस्टाग्राम अकाउंट हैक हो गया. हैकर्स ने उससे 2 लाख रुपये मांगे, लेकिन जब उसने साइबर क्राइम पुलिस को बताया तो वे पीछे हट गए. पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने कहा कि डार्क वेब पर ऐसी सर्विसेज भरी पड़ी हैं, जिनसे कोई भी अकाउंट या डिवाइस हैक हो सकता है. इससे पहले राजकोट में एक अस्पताल के CCTV को भी विदेशी हैकर्स ने टेलीग्राम की ट्रेनिंग से हैक कर लिया था.

इतने रुपये में डेटा बेच देते हैं हैकर्स

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साइबर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ये ग्रुप्स सोशल मीडिया की कमजोरियों का फायदा उठाते हैं. कई बार फिशिंग से पासवर्ड चुराकर अकाउंट बेच देते हैं. "हैकिंग स्क्वाड" नाम का एक ग्रुप अपने आप को प्रोफेशनल बताता है और इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, वेबसाइट्स, यहां तक कि स्कूल-कॉलेज के डेटा तक हैक करने की सर्विस देता है. इनकी कीमत 450 डॉलर से शुरू होती है, जो इसे हर किसी की पहुंच में ला रही है.

ऐसे रहें सतर्क

बता दें कि साइबर अटैक तेजी से बढ़ रहे हैं, खासकर इन्फ्लुएंसर्स और बिजनेस अकाउंट्स पर. इससे बचने के लि मज़बूत पासवर्ड रखें, उसे बदलते रहें, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन करें और अनजान लिंक्स से बचें. अगर अकाउंट हैक हो जाए तो फौरन साइबर सेल से संपर्क करें. डार्क वेब के इस गैरकानूनी बाजार को रोकने के लिए पुलिस लगी है. लेकिन हमें अपनी सुरक्षा का ख्याल खुद रखना होगा.

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