Artificial General Intelligence: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने काम करने के तरीके में आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है. कम्प्यूटर ने घंटों का काम मिनटों में तब्दील किया था और एआई ने उसे चंद सेकेंड के काम में तब्दील कर दिया है. अब एआई में बड़ा बदलाव आने वाला है. जल्द ही एआई ठीक इंसानों की तरह काम करने लगेगी. अगले चरण में एआई इंसानों की तरह बात करेगी, तर्क करेगी, योजना बना सकेगी और उसकी याददाश्त भी होगी. ओपन एआई (OpenAI) और मेटा प्लेटफॉर्म्स (Meta Platforms) इस दिशा में काफी आगे बढ़ चुके हैं. जल्द ही यह कंपनियां एआई के वर्जन 2.0 का ऐलान कर सकते हैं. 


जल्द आएंगे एआई मॉडल के अपग्रेड वर्जन


ओपन एआई और मेटा प्लेटफॉर्म्स अपने-अपने एआई मॉडल का अपग्रेड वर्जन जल्द ही मार्केट में ला सकती हैं. नए एआई मॉडल बड़ी से बड़ी समस्याओं का हल निकाल सकेंगे. साथ ही उनसे कठिन काम भी आसानी से करवाए जा सकेंगे. ओपन एआई के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर ब्रैड लाइटकैप ने द फाइनेंशियल टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि चैट जीपीटी (Chat GPT) का अगला वर्जन तर्क करने में सक्षम होगा. वह अपनी रीजनिंग क्षमता के दम पर कठिन समस्याएं हल कर पाएगा. 


रीजनिंग और प्लानिंग करने में होंगे सक्षम


रिपोर्ट के अनुसार, नए एआई मॉडल रीजनिंग के साथ प्लानिंग भी कर सकेंगे. उनमें सोचने और समझने की क्षमता होगी. वह कई आयाम में सोचते हुए समस्याओं जे जबाव ढूंढने का प्रयास करेंगे. वर्जन 2.0 सिर्फ शब्दों को पढ़कर काम नहीं करेंगे. वह इससे बहुत ज्यादा कर सकेंगे. ये आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) को हासिल करने की दिशा का बड़ा कदम रखेंगे. मेटा एआई रिसर्च के वाईस प्रेसिडेंट जोएल पिनाऊ का कहना है कि उनकी कंपनी एआई को बात करने, रीजनिंग करने, प्लानिंग करने और याददाश्त विकसित करने में सक्षम बनाने पर काम कर रही है. 


एक ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी एआई इंडस्ट्री


यदि ओपन एआई और मेटा जैसी कंपनियां ऐसे मॉडल विकसित कर लेती हैं तो 2030 तक एआई इंडस्ट्री एक ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर लेगी. मेटा पहले से ही आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस को कमाऊ पूत मानकर काम कर रही है. एलन मस्क (Elon Musk) ने हाल ही में कहा था कि आने वाले 2 साल में एआई इंसानों को पीछे छोड़ देगी. वह न सिर्फ सोच सकेगी बल्कि स्वतंत्र रूप से काम भी कर सकेगी.


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