हाल ही में एनसीबी ने दिल्ली में एक ड्रग तस्कर को गिरफ्तार किया है, जो व्हाट्सऐप और जंगी ऐप के जरिए अपना नेटवर्क चला रहा था. जांच एजेंसी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का नाम शेन है और वह अमरोहा जिले का रहने वाला है. शेन ने पूछताछ में बताया कि उसे व्हाट्सऐप और शेन ऐप के जरिए आदेश मिलते थे और वह उसके हिसाब से ड्रग्स का नेटवर्क चला रहा था. बता दें कि यह पहली बार नहीं है, जब जंगी ऐप का नाम किसी गैर-कानूनी काम में आया है. कई अवैध गतिविधियों में इसका इस्तेमाल होता आया है. आइए इस ऐप के बारे में जानते हैं. 

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अपराधों के लिए क्यों होता है जंगी जैसी ऐप्स का इस्तेमाल?

देश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां नशा तस्कर, आतंकवादी और अपराधी बातचीत के लिए जंगी और इस जैसी कई ऐप्स यूज कर रहे हैं. सरकार ने सुरक्षा चिंताओं के आधार पर इन ऐप्स पर बैन भी लगाया था. अपराधों में इन ऐप्स को इसलिए यूज किया जाता है क्योंकि इन पर हो रही बातचीत किसी सेंट्रलाइज्ड सर्वर पर स्टोर नहीं होती. इस कारण जांच एजेंसियों के लिए चैट को रिकवर कर पाना लगभग असंभव हो जाता है. साथ ही इन ऐप्स पर रजिस्ट्रेशन के लिए मोबाइल नंबर या ईमेल की जरूरत नहीं होती. इससे भी अपराधियों को फायदा मिलता है और उन्हें ट्रैस कर पाना मुश्किल हो जाता है. ये ऐप्स डेटा स्टोर नहीं करती है और मैसेज भी पढ़ते ही अपने आप डिलीट हो जाते हैं. ऐसे में जांच एजेंसियों के हाथ कोई सबूत नहीं लगता.

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पहले भी रही है विवादों में 

जंगी ऐप पिछले साल दिसंबर में विवादों में आई थी. उस समय तीन आतंकवादी पंजाब की पुलिस चौकी पर हमला कर फरार हुए थे. जांच के दौरान पुलिस को जंगी ऐप पर इनका एक वीडियो मिला था. इसकी मदद से पुलिस ने करीब 800 किलोमीटर दूर इन आतंकियों को एनकाउंटर कर ढेर कर दिया था. ये अपनी बातचीत के लिए जंगी ऐप का यूज कर रहे थे.

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