MIRV Technology:  भारत ने सोमवार यानी 11 मार्च को न्यूक्लियर बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की पहली सफल टेस्टिंग की. अग्नि-5 मिसाइल में मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक है. इसके साथ ही अब भारत एमआईआरवी क्षमता वाले चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है. इससे पहले सिर्फ अमेरिका, रूस, चीन, उत्तर कोरिया और इजरायल के पास यह तकनीक थी. 


एमआईआरवी तकनीक सबसे पहले शीत युद्ध (Cold War) के दौरान अमेरिका ने विकसित की थी. एमआईआरवी में एक मिसाइल कई हथियार ले जा सकती है. साथ ही कई जगहों को अपना निशाना बना सकती है. इसे सड़क के माध्यम से कहीं भी ले जाया जा सकता है. हालांकि, अग्नि मिसाइलों में पहले यह सुविधा नहीं थी. 


क्या है MIRV तकनीक


MIRV तकनीक का इस्तेमाल लंबी दूरी की मिसाइलों में किया जाता है. इस तकनीक के तहत एक मिसाइल में कई अलग-अलग वारहेड ले जाने की क्षमता होती है. हर वारहेड को अलग-अलग टारगेट को निशाना बनाने के लिए प्रोग्राम किया जाता है. इसके अलावा एक ही टारगेट को एक साथ भी कई वारहेड से निशाना बनाया जा सकता है. यह तकनीक तीन चरणों में काम करती है. 



  • पहले चरण में इस मिसाइल को सामान्य तरीके से प्रक्षेपित किया जाता है.

  • दूसरा मिसाइल वायुमंडल में रहते हुए एक दूसरे से अलग हो जाती हैं.

  • तीसरा चरण है कि प्रत्येक वारहेड अपने टारगेट की ओर बढ़ता है और उसे नष्ट कर देता है. 


अग्नि 5 क्यों है खास


भारत के पास अग्नि सीरीज की 1 से 5 तक मिसाइलें हैं. अग्नि-5 इनमें से सबसे खास है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यही है कि यह मिसाइल 5 हजार किमी से भी ज्यादा दूर टारगेट को हिट कर सकती है. इसके परीक्षण की तैयारी काफी पहले से की जा रही थी. इसके लिए ओडिशा तट के पास एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से 3500 किमी तक का क्षेत्र 'नो फ्लाई जोन' घोषित किया गया था. इसके सफल परीक्षण के बाद अब इसे जल्द ही भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा.


यह भी पढ़ें:-


Xiaomi 14 Ultra: 1 लाख रुपये वाले शाओमी फोन के टॉप-5 फीचर्स, देखें लिस्ट