AI in 2026: साल 2022 के आखिर में जब ChatGPT सामने आया तब लोगों को पहली बार यह एहसास हुआ कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य नहीं बल्कि वर्तमान बन चुका है. हालांकि शुरुआती दौर में AI से कई गलतियां भी होती थीं. कई बार यह गलत जानकारी दे देता था पुराना डेटा इस्तेमाल करता था और इमेज या वीडियो बनाने में कमजोर साबित होता था.
इन्हीं कमियों को दूर करने के लिए दुनिया की बड़ी टेक कंपनियों ने अरबों डॉलर झोंक दिए. नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे AI रिसर्च, कंटेंट राइटिंग और क्रिएटिव कामों में एक भरोसेमंद टूल बन गया.
2025: मल्टीमॉडल AI का दौर
2025 तक AI ने जबरदस्त छलांग लगाई. अब यह सिर्फ टेक्स्ट ही नहीं बल्कि आवाज़ और तस्वीरों को भी एक साथ समझने और प्रोसेस करने लगा. नए AI मॉडल पहले के मुकाबले ज्यादा सटीक हुए और हैलुसिनेशन यानी मनगढ़ंत जवाबों की समस्या काफी हद तक कम हो गई.
इसी साल सोशल मीडिया पर AI से बनी इमेजेज़ का जबरदस्त ट्रेंड देखने को मिला. ChatGPT-4o की बेहतर इमेज जनरेशन क्षमता ने AI को आम लोगों के बीच और ज्यादा लोकप्रिय बना दिया. हालात ऐसे हो गए कि Ghibli स्टाइल आर्ट बनाने की दीवानगी के चलते OpenAI के सर्वर तक दबाव में आ गए.
Google Gemini और इमेज AI की जंग
OpenAI के साथ-साथ Google भी पीछे नहीं रहा. Google ने अपने Nano Banana जैसे इमेज जनरेशन मॉडल पेश किए जो रियल जैसी तस्वीरें बनाने में माहिर माने गए. डिजिटल आर्ट पसंद करने वालों के बीच ये टूल तेजी से लोकप्रिय हुए और AI इमेज क्रिएशन की होड़ और तेज हो गई.
2026: AI वीडियो का साल
अब नजरें 2026 पर टिकी हैं जिसे AI वीडियो का साल माना जा रहा है. फिलहाल Google, OpenAI और xAI जैसी कंपनियां वीडियो जनरेशन तकनीक को बेहतर बनाने में जुटी हैं. 2025 में इसके शुरुआती संकेत दिखे, जहां वीडियो पहले से ज्यादा स्थिर और नेचुरल नजर आने लगे. लेकिन 2026 में यह तकनीक पूरी तरह परिपक्व हो सकती है. माना जा रहा है कि सोशल मीडिया ट्रेंड्स अब तस्वीरों से हटकर AI से बने वीडियो पर शिफ्ट हो जाएंगे.
फ्री ट्रायल से पेड फीचर्स तक
संभावना है कि कंपनियां पहले लोगों को मुफ्त में AI वीडियो बनाने का मौका देंगी ताकि यूजर्स इस तकनीक को आजमा सकें. इसके बाद धीरे-धीरे इन्हें पेड सर्विस का हिस्सा बनाया जाएगा. इससे क्रिएटर्स को नए एक्सपेरिमेंट करने का बड़ा मौका मिलेगा.
Deepfake और सख्त नियम
जैसे-जैसे AI ताकतवर हो रहा है Deepfake का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. नकली लेकिन बेहद असली दिखने वाली तस्वीरें और वीडियो पहचानना मुश्किल होता जा रहा है. इसी वजह से आने वाले समय में बड़ी टेक कंपनियां AI पर सख्त नियम और सेफ्टी गार्डरेल्स लागू कर सकती हैं ताकि गलत इस्तेमाल रोका जा सके और डिजिटल दुनिया को सुरक्षित रखा जा सके.
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