Yogi Adityanath 2.0: उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य में दोबारा सरकार बनाकर सीएम योगी आदित्यनाथ इतिहास रच दिया है. उत्तराखंड के पहाड़ों के निकलकर नाथ संप्रदाय के सबसे बड़े पीठ के महंत बनने से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री बनने तक का उनका सियासी सफर बेहद दिलचस्प रहा है. महज 22 साल की उम्र में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था और फिर वो संन्यासी बन गए थे. लेकिन उनकी राह यहीं पर खत्म नहीं हुई. जनता की सेवा के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा और फिर आगे ही बढ़ते चले गए. 


अजय सिंह बिष्ट से संन्यासी बनने का सफर


योगी आदित्यनाथ का जन्‍म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में गढ़वाली राजपूत परिवार में हुआ. उनके पिता का नाम आनन्‍द सिंह बिष्‍ट और माता का नाम सावित्री देवी है. सात भाई-बहनों में वे पांचवें स्थान पर आते हैं. उन्होंने श्रीनगर के गढ़वाल विश्‍वविद्यालय श्रीनगर से गणित से बीएससी की. 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के समय उनकी मुलाकात गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से हुई. वो उनसे इतने प्रभावित हुए कि उनसे दीक्षा ले ली. साल 1994 में वो अजय सिंह बिष्ट पूर्ण संन्यासी बन गए और उनका नाम योगी आदित्यनाथ हो गया. 


मठ से ऐसे हुई राजनीति में एंट्री


साल 1996 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने महंत अवेद्यनाथ के चुनाव का संचालन किया. उन्होंने अपने काम को इतने समर्पण के साथ पूरा किया कि साल1998 में गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. योगी आदित्यनाथ ने 26 साल की उम्र में लोकसभा चुनाव जीतकर सबसे कम उम्र में सांसद बनने का गौरव हासिल किया. यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई. इसके बाद वो लगातार पांच बार गोरखपुर से सांसद बने और उन्हें 42 साल की उम्र में उन्होंने 5 बार सांसद बनने का रिकॉर्ड भी बनाया. 


उग्र तेवर के लिए जाने जाते हैं योगी


इस दौर में योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू युवा वाहिनी और बजरंग दल जैसे संगठनों को मजबूती प्रदान कर हिन्दुत्व और विकास का नारा बुलंद किया. 12 सितंबर 2014 को महन्त अवैद्यनाथ के निधन हो गया जिसके बाद योगी आदित्यनाथ को गोरखनाथ मंदिर का महंत बनाया गया. 2 दिन बाद इन्हें नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर भी नियुक्त किया गया. पूर्वांचल गवाह है कि गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्‍यनाथ जितना उग्र तेवर पहले किसी महंत में नहीं रहा है. योगी हिन्दू बनाम मुस्लिम कार्ड खेलने में माहिर हैं. 


दूसरी बार सीएम बन रचा इतिहास


2014 के लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने ताबड़तोड़ रैलियां यहां पर बीजेपी का दबदबा बनाया और गोरखपुर से चुनाव जीतकर अपनी हनक भी कायम रखी. साल 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने 19 मार्च 2017 को 45 साल की उम्र में योगी आदित्यनाथ ने यूपी के सीएम पद की शपथ ली. पिछले पांच साल में योगी आदित्यनाथ का यूपी की राजनीति पर जबर्दस्त असर देखने को मिला. अपराध के प्रति उनकी सख्त छवि लोगों कि दिल में घर कर गई. यही वजह से कि यूपी चुनाव 2022 में भी यूपी में बीजेपी को जबर्दस्त जीत हासिल हुई. 37 साल बाद ये पहली बार है जब कोई सीएम लगातारी दूसरी बार जीत हासिल कर सत्ता में लौटा है. 


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