Ramcharitmanas Row: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के बयान से रामचरितमानस विवाद पर बयानबाजी शुरू हुई थी. हालांकि उसके बाद से अभी तक सपा नेता अपने बयान पर कायम हैं. लेकिन इसके बाद जो हुआ वो गौर करने वाली है. तब अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का एक बयान काफी चर्चा में था. 

तब अखिलेश यादव ने सीएम योगी से 'शूद्र' पर एक सवाल पूछने की बात कही थी. उन्होंने कहा था, "हमारे मुख्यमंत्री योगी हैं जो एक संस्था से आए हैं. उसका अपना एक इतिहास रहा है. मैं रामचरितमानस और शूद्र पर सीधा पूछूंगा कि सदन में बताइए, शूद्र कौन-कौन हैं. ये हमारा और आपका सवाल नहीं है, ये धार्मिक लोगों का सवाल है."

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ये रही वजहलेकिन गुरुवार को सपा प्रमुख और नेता विपक्ष विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने कभी भी न तो रामचरितमानस पर कुछ कहा और न ही 'शूद्र' पर सवाल पूछा. यानी अखिलेश यादव अब इस मुद्दे पर कन्नी काटते नजर आ रहे हैं. दरअसल, राजनीति के जानकारों की मानें तो राम गोपाल यादव और चाचा शिवपाल यादव द्वारा खुद को इस विवाद से अलग करने का सीधा संदेश अखिलेश यादव को मिला. 

यही नहीं, पार्टी का गुट स्वामी प्रसाद मौर्य का विरोध कर रहा था, इस वजह से बीते दिनों अखिलेश यादव ने नेताओं और कार्यकर्ताओं को धार्मिक मुद्दों पर बोलने से बचने के लिए भी कहा था. तब सपा ने इस संबंध में एक पत्र भी जारी किया था. जिसके बाद अखिलेश यादव भी खुद इसी राह पर चलते नजर आए हैं. उसके बाद सपा प्रमुख ने भी इस पूरे विवाद पर चुप्पी साध रखी है. 

लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने सपा प्रमुख के सवाल वाली चुनौती पर कहा था कि अगर वो सवाल करेंगे तो जवाब भी मिलेगा. ऐसे में अगर इस विवाद पर बयानबाजी फिर से बढ़ती तो जातिवार जनगणना की मांग को सपा के लिए आगे रख पाना मुश्किल हो जाता.