इन दिनों महिलाओं और लड़कियों को लेकर विवादित बयानों की वजह से प्रेमानंद महाराज और अनिरुद्धाचार्य विवादों में हैं लेकिन इस बीच साध्वी ऋतंभरा भी अपने एक बयान की वजह से चर्चा में आ गईं हैं.

उन्होंने  हिंदू लड़कियों के पहनावे और अन्य चीजों पर एक प्रवचन के दौरान जमकर कटाक्ष किया था. अपने इस बयान की वजह से खूब विवादों में रहीं थी. आज साध्वी ऋतंभरा के बारे में जानेंगे आखिर वह कौन हैं कहां से हैं और किस वजह से चर्चाओं में रही हैं. 

राम मंदिर आंदोलन का प्रमुख चेहरा

साध्वी ऋतंभरा भारत की जानी-मानी धार्मिक प्रवक्ता, समाजसेवी और राम मंदिर आंदोलन की एक प्रमुख चेहरा रही हैं. वे अपने तेज़, ओजस्वी और फायरब्रांड भाषणों के लिए जानी जाती हैं. 1980 और 1990 के दशक में जब राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था. 

उस दौरान साध्वी ऋतंभरा के भाषणों ने न केवल हिंदू समाज में जोश भरा, बल्कि उन्हें एक राष्ट्रीय पहचान भी दिलाई. वह विश्व हिंदू परिषद की महिला शाखा दुर्गा वाहिनी की संस्थापक-अध्यक्ष हैं.

इस राज्य से ताल्लुक रखती हैं साध्वी ऋतंभरा

साध्वी ऋतंभरा का जन्म वर्ष 1964 में पंजाब के लुधियाना जिले के एक छोटे से गांव मंडी दोराहा में हुआ था. उन्होंने मात्र 16 वर्ष की उम्र में स्वामी परमानंद से दीक्षा ली और आध्यात्मिक मार्ग पर चल पड़ीं. हालांकि वे हमेशा राजनीति से दूर रहीं, लेकिन राम मंदिर आंदोलन से उनका जुड़ाव उन्हें राष्ट्रीय चर्चाओं में ले आया. 

वे कट्टर हिंदुत्व विचारधारा की प्रखर वक्ता के रूप में पहचानी जाती हैं. धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ साध्वी ऋतंभरा का झुकाव समाजसेवा की ओर भी रहा है. वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश के वृंदावन में ‘वात्सल्य ग्राम’ नाम की संस्था चला रही हैं, जहां अनाथ बच्चों, बेसहारा महिलाओं और बुजुर्गों को संयुक्त परिवार के रूप में पाला जाता है. 

पद्म भूषण से हो चुकी हैं सम्मानित

इस संस्था में हर बच्चे को मां, मामी, नानी, और भाई-बहनों के साथ एक पारिवारिक वातावरण दिया जाता है. उनके सामाजिक और धार्मिक योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण सम्मान से नवाज़ा है.

इसके अलावा, उन्हें अमेरिका के ह्यूस्टन, पर्ल लैंड, टेक्सास और लॉस एंजिल्स काउंटी के मेयरों तथा अमेरिका स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास द्वारा भी कई बार सम्मानित किया जा चुका है.

विदेशों में कर चुकी हैं प्रतिनिधित्व

साध्वी ऋतंभरा न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी हिंदू संस्कृति, अध्यात्म और सेवा भावना का प्रतिनिधित्व करती हैं. उन्होंने अपने विचारों और कार्यों से समाज को नई दिशा दी है और आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं.