काशी को विद्वानों की नगरी कहा जाता है . देश के कोने-कोने से लोग यहां पर संस्कृत का अध्ययन करने और शास्त्रों वेद के जीवंत अनुभव को जीने के लिए पहुंचते हैं. इसी क्रम में महाराष्ट्र के रहने वाले देवव्रत महेश ने कुछ ऐसा कर दिया है जिससे न सिर्फ वर्तमान पीढ़ी को भारतीय सनातन परंपरा से जुड़ने के लिए प्रेरणा मिली है बल्कि उनकी प्रतिभा से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्रभावित हुए हैं. 

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50 दिनों में देवव्रत ने हासिल की उपलब्धि

19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के 2000 मंत्रों वाले 'दण्डकर्म पारायणम्' को 50 दिनों तक बिना किसी बाधा के पूरा किया है. देवव्रत महेश मूलतः महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. उन्होंने वाराणसी के रामघाट स्थित सांग्वेद विद्यालय विद्यालय मे यह उपलब्धि हासिल की है.

अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में मुख्य पुजारी की भूमिका निभाने वाले स्व. पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित जो महाराष्ट्र की भी प्राचीन विरासत और परंपरा से भली भांति परिचित हैं, उनके परिवार का भी कहना है कि देवव्रत ने निश्चित ही बेहद कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल की है ,जिसके लिए अधिक अवधि लगती है. यह मामूली बात नहीं है. और उन्होंने भारतीय सनातन परंपरा के प्रति अपने अपार समर्पण को साबित किया है. वहीं सांग्वेद विद्यालय  प्रधानमंत्री मोदी के 2024 लोकसभा चुनाव मे प्रस्तावक विद्वान पं. गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ द्वारा संचालित किया जाता है.

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प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी ने दी शुभकामनाएं 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करके . महेश को शुभकामनाएं दी है. उनका कहना है कि देवव्रत की यह उपलब्धि आने वाले पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेगी. उन्होंने इसके लिए खुशी जाहिर करते हुए देवव्रत के परिवार, संतों, मुनियों, विद्वानों और देशभर के उन सभी संस्थाओं का अभिवादन किया है जिन्होंने इस तपस्या में सहयोग दिया. 

इस संदर्भ में सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि महाराष्ट्र के 19 वर्षीय युवा वैदिक साधक देवव्रत महेश रेखे  ने अद्वितीय साधना और अद्भुत स्मरण शक्ति से 2000 वैदिक मंत्रों को कंठस्थ करते हुए जो अभूतपूर्व उपलब्धि अर्जित की है, वह पूरे आध्यात्मिक जगत के लिए प्रेरणा का नव-दीप है. शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के 'दण्डकर्म पारायणम्' को 50 दिनों तक अखंड, शुद्ध और पूर्ण अनुशासन के साथ संपन्न करना, हमारी प्राचीन गुरु-परंपरा के गौरव का पुनर्जागरण है.

सीएम ने लिखा कि मेरे लिए विशेष गर्व का विषय है कि यह वैदिक अनुष्ठान पवित्र काशी की ही दिव्य धरा पर सम्पन्न हुआ. उनके परिवार, आचार्यों, संत-मनीषियों और उन सभी संस्थाओं का हृदय से अभिनंदन, जिनके सहयोग से यह तपस्या सिद्धि को प्राप्त हुई. देवव्रत, आपकी यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का प्रकाश-स्तंभ बने, ऐसी मंगलकामना के साथ हार्दिक बधाई.