रुद्रप्रयाग. द्वितीय मदमहेश्वर धाम की ऊपरी पहाड़ी पर जल मोड़ नाली का निर्माण न होने से बरसात के समय मंदिर परिसर में जल भराव की स्थिति बनी रहती है. जिससे किसी भी वक्त भारी नुकसान हो सकता है. बता दें कि पिछले वर्ष 20 जुलाई को मदमहेश्वर धाम की ऊपरी पहाड़ी पर मूसलाधार बारिश होने से मंदिर परिसर में भारी जल भराव होने से अफरा-तफरी मच गयी थी. जल मोड़ नाली के निर्माण के लिए स्थानीय व्यापारी शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं, मगर आज तक जल मोड़ नाली का निर्माण नहीं हो पाया है. केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग जल मोड़ नाली की मरम्मत करने तक सीमित रह गया है, मगर बजट के अभाव में जल मोड़ नाली का सही तरीके से ट्रीटमेंट नहीं हो पा रही है.

बता दें कि पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर का पावन धाम सीमान्त ग्राम पंचायत गौंडार से लगभग 10 किमी दूर बूढ़ा मदमहेश्वर की तलहटी में बसा है. मदमहेश्वर धाम के ऊपरी हिस्से में पहाड़ी होने के कारण बरसात के समय पहाड़ी से बहने वाले पानी का वेग मदमहेश्वर धाम की ओर होने से मंदिर परिसर में जल भराव होने का खतरा बना रहता है.

क्षतिग्रस्त हुई जल मोड़ नालीकई वर्षों पूर्व केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग द्वारा मदमहेश्वर धाम के ऊपरी हिस्से में जल मोड़ नाली का निर्माण तो किया गया था, मगर संरक्षण के अभाव में जल मोड़ नाली धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो चुकी है. इस वर्ष वन विभाग द्वारा विभागीय निजी संसाधनों से जल मोड़ नाली का रख-रखाव तो किया गया, लेकिन बजट के अभाव में कार्य सही से नहीं हो पाया. 

स्थानीय व्यापारी जल मोड़ नाली के निर्माण के लिए केन्द्रीय मंत्री उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केन्द्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज तक गुहार लगा चुके हैं, मगर आज तक जल मोड़ नाली के निर्माण की पहल नहीं हो सकी है.

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