Varanasi News: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के निधन की खबर से शनिवार को काशी में शोक की लहर में डूबी हुई है. सभी उस दिन को याद कर रहे हैं जब जापान के पूर्व प्रधानमंत्री काशी यात्रा पर आए थे और विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती देखकर घाट किनारे से ही काशी का क्योटो की तर्ज पर विकास करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचार को धार दी थी. 


2015 में काशी आए थे शिंजो आबे 
साल 2015 में शिंजो आबे भारत आए थे. उसी साल 12 दिसम्बर की शाम गंगा आरती के समय पूर्व जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे यहां पहुंचे. प्रधानमंत्री और काशी के सांसद के बुलावे पर जापानी प्रधानमंत्री शिंजो काशी आए  और काशी ने उनका दिल खोलकर स्वागत किया. सड़क पर भारत जापान की मैत्री के झंडे लहराये गए और जब शिंजो गंगा आरती में पहुंचे थे तो वो अभिभूत हो गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें बीच-बीच मे मंत्रोच्चार से जुड़ी जानकारी दे रहे थे और इसी आस्था के बीच काशी के क्योटो की तर्ज पर होने वाले विकास के विचार को धार मिली. इतना ही नहीं साल 2015 में उसी वक्त भारत-जापान मैत्री के प्रतीक रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर की नींव भी रखी गयी।


काशी में जापानी तकनीक से किया गया विकास
बता दें कि पहले काशी की गलियों में सीवेज सिस्टम ठीक नहीं था. इसके साथ ही जब जापानी तकनीक को जोड़कर विकास शुरू हुआ तो सराहना हर जगह हुई. अब काशी के सिगरा क्षेत्र में रुद्राक्ष बनकर तैयार है और ये रुद्राक्ष सबके आकर्षण का केंद्र बन रहा है. लेकिन शिंजो आबे की मौत की खबर ने सबको मर्माहत कर दिया है. पूर्व जापानी प्रधानमंत्री का काशी आगमन उस वक्त काशी को उम्मीद दे गया था और काशी के लिए एक विकास बनकर उभरा. आज वो हमारे बीच नहीं है और काशी उन्हें याद कर रही है. 


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