Varanasi News: वाराणसी को दुनिया का प्राचीन शहर कहा जाता है. यहां के अलग-अलग धार्मिक स्थल से जुड़ी अनेक परंपराएं हैं, जिसका आज भी विधि विधान से निर्वहन किया जाता है. इसी क्रम में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रत्येक वर्ष माघ माह के दौरान श्री राम कथा का आयोजन होता है. मान्यता है कि भगवान शंकर खुद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की लीलाओं और जीवन से जुड़ी कथाओं को भाव विभोर होकर सुनते हैं.
इस बार महाकुंभ की वजह से इस 9 दिवसीय कथा का आयोजन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष से किया जा रहा है. प्राचीन शहर काशी से जुड़ी परंपराओं के जानकार और अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया कि भगवान शिव की नगरी काशी से जुड़ी अनेक परंपराएं हैं, जिसका निर्वहन आज भी विधि विधान से किया जाता है.
कई सौ सालों से हो रही कथाकहा जाता है कि 1669 में भगवान शंकर के सबसे बड़े धाम काशी विश्वनाथ मंदिर सहित शहर के अलग-अलग प्राचीन धरोहर को औरंगजेब द्वारा नुकसान पहुंचाया गया था. इसके बाद से ही काशी के ब्राह्मणों द्वारा विश्वनाथ मंदिर में माँ श्रृंगार गौरी का पूजन और श्री राम कथा भगवान विश्वनाथ को सुनाया जाता है और भगवान विश्वनाथ भी भाव विभोर होकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की कथा को सुनते हैं.
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वैसे रिकॉर्ड लिस्ट में भी 1958 में वाराणसी के तत्कालीन जिलाधिकारी की देखरेख में भी इस आयोजन को शुरू किया गया था. इस बार महाकुंभ की वजह से माघ माह के बजाय चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की तिथि से कथा का आयोजन शुरू हुआ है. काशी विश्वनाथ मंदिर में 21 मार्च से श्री राम कथा का आयोजन किया जा रहा है, जो 9 दिवसीय होगा.
कथा को व्यास पंडित सुरेवाल शास्त्री द्वारा मंदिर परिसर में भक्तों को सुनाया जा रहा है. मान्यता है कि भगवान शंकर भी भगवान राम को अपना आराध्य मानते हैं. इसलिए वह भी इस कथा में शामिल होकर प्रभु राम के जीवन लीलाओं से जुड़े प्रसंग को सुनते हैं.