देहरादून, एबीपी गंगा। उत्त्तराखण्ड में स्लाटर हाउस का मुद्दा हमेशा चर्चाओं में रहा है। दरअसल स्लाटर हाउस पर निर्णय निगमों या नगर पालिका का होता है लेकिन अब सरकार स्लाटर हाउस से जुड़े फैसले खुद करेगी और इसके लिये अध्यादेश लाया जाएगा। फिलहाल कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव लाया गया है। उत्तराखंड में कुछ दिनों से स्लाटर हाउस या यानी बूचड़ खानों का मुद्दा चर्चा में है। सबसे बड़ा मामला हरिद्वार जिले में खुलने वाले स्लाटर हाउस को लेकर है। हरिद्वार के मंगलौर में एक स्लाटर हाउस खुलना प्रस्तावित था लेकिन इस स्लाटर हाउस पर राजनीति गरमाई हुई है।
भाजपा के विधायक हरिद्वार जिले में खुलने जा रहे इस बूचड़ खाने के खिलाफ लामबंद हैं। लेकिन इनको बंद करना या नहीं करना इससे जुड़े फैसले नगर निगम या नगर पालिका के अधिकार क्षेत्रों में आते हैं। हालांकि हरिद्वार में खुलने वाले स्लाटर हाउस पर हाई कोर्ट के आदेश के बाद ज़िला प्रशासन ने परमिशन दी थी लेकिन अब ये परमिशन सरकार के गले की फांस बन गयी। धर्म नगरी हरिद्वार में भाजपा विधायक या भाजपा नेता किसी भी सूरत में स्लाटर हाउस खुलने नहीं देना चाहते।
दरअसल हकीकत ये है कि अब राज्य सरकार मुसीबत में है कि स्लाटर हाउस पर वो निगम पालिकाओं के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप कर निर्णय कैसे ले... जिसके लिये राज्य सरकार ने एक नायाब रास्ता निकाला और अब राज्य सरकार कैबिनेट में ये फैसला लेकर आई कि स्लाटर हाउस नियम पर सरकार अध्यादेश लेकर आएगी, यानी अब राज्य में स्लाटर हाउस खोलने या ना खोलने के फैसले निगम या नगर पालिका के नहीं सरकार के हाथ में होंगे। हालांकि सरकार कैबिनेट में लाये गए स्लाटर हाउस मुद्दे से जुड़े फैसले पर अपना तर्क दे रही है कि स्लाटर हाउस हाईजनिक हो और जनता के स्वास्थ्य से कोई कोताही न बरती जाए इसलिय ये जिम्मेदारी सरकार की है।