Uttarakhand Monsoon: उत्तराखंड में इस साल मानसून के दौरान सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जताई गई है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, जून से सितंबर के बीच राज्य में भारी वर्षा हो सकती है, जिससे विशेष रूप से पर्वतीय इलाकों में जनजीवन प्रभावित होने की आशंका है. मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार मानसून सक्रिय रहेगा और इसके प्रभाव से पहाड़ों में कई दौर की तेज बारिश देखने को मिल सकती है.

मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने बताया कि जून से सितंबर तक पूरे देश में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है और उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि राज्य के पर्वतीय जिलों में बारिश की तीव्रता ज्यादा हो सकती है, जिससे भूस्खलन, सड़क अवरोध और अन्य आपदाओं का खतरा बढ़ सकता है.

सामान्य से अधिक रहेगा मानसूनपूर्वानुमान के अनुसार, भारतीय मानसून पर प्रभाव डालने वाले वैश्विक कारकों में से एक हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) फिलहाल तटस्थ स्थिति में बना हुआ है, जो कि मानसून के लिए अनुकूल संकेत माना जा रहा है. इसके अलावा, यूरेशिया और उत्तरी गोलार्ध में इस वर्ष जनवरी से मार्च तक सामान्य से कम बर्फबारी हुई है, जिसका असर भी मानसून की स्थिति पर पड़ता है. आंकड़े बताते हैं कि जब इन क्षेत्रों में कम बर्फबारी होती है, तो भारत में मानसून अपेक्षाकृत मजबूत रहता है.

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वर्तमान मौसम की बात करें तो मौसम विभाग ने बुधवार को प्रदेश के कई जिलों में हल्की बारिश और गर्जन के साथ बिजली गिरने की संभावना जताई है. देहरादून, उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग और टिहरी गढ़वाल में हल्की बारिश की संभावना जताई गई है. इन जिलों में यलो अलर्ट भी जारी किया गया है. अन्य मैदानी जिलों में मौसम फिलहाल शुष्क रहने का अनुमान है.

सप्ताह के अंत तक मौसम में और बदलाव आने की संभावना है. मौसम विभाग ने संकेत दिए हैं कि पर्वतीय जिलों में बारिश के साथ ओलावृष्टि भी हो सकती है. इससे कृषि पर असर पड़ सकता है, साथ ही सड़क यातायात और जनसुरक्षा से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी निगरानी की जरूरत होगी. राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग को पहले से सतर्क रहने की सलाह दी गई है ताकि संभावित आपदा की स्थिति में तेजी से राहत और बचाव कार्य किए जा सकें. 

मौसम विभाग मई के अंतिम सप्ताह में मानसून को लेकर विस्तृत और अद्यतन पूर्वानुमान जारी करेगा. तब तक राज्य के लोगों और प्रशासन को मौसम संबंधी चेतावनियों पर नजर बनाए रखने की आवश्यकता है.