High Court News: उत्तराखंड उच्च न्यायालय (High Court) ने हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के नियम विरुद्ध कार्यप्रणाली पर सख्त रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार यूजीसी और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने केंद्रीय विश्वविद्यालय से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है और जवाब ना दाखिल करने पर कुलपति को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने को कहा गया है.


मेरिट के आधार पर मिले दाखिला
उत्तराखंड उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने देहरादून निवासी याचिका करता रविंद्र जुगरान की जनहित याचिका पर सुनवाई की याचिका करता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने न्यायालय से कहा कि, माटी नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में दाखिला इंटर की मेरिट को आधार बनाकर किया जाए. क्योंकि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 15 मार्च 2023 को यूजीसी को लिखे पत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय समेत उत्तर पूर्व राज्यों के केंद्रीय विश्वविद्यालय को इस बार वर्ष 2023-24 के लिए (सी यू ई टी) में छूट दे दी जाय.


चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश
इस पत्र का लाभ उठाते हुए उत्तर पूर्व राज्यों के केंद्रीय विश्वविद्यालय ने अपने यहां ( सी यू ई टी)की परीक्षा नहीं कराई और इंटर की मेरिट के आधार पर प्रवेश दिया. लेकिन आरोपी विश्वविद्यालय ने ( सी यू ई टी) की परीक्षा कराई जिसके कारण विश्वविद्यालय कैंपस कॉलेजों और संबंध अशासकीय महाविद्यालय में दाखिला 20% तक की हो सका. याचिका करता ने न्यायालय से प्रार्थना कर कहा कि जब ( सी यू ई टी) से छूट दे दी गई तो विश्वविद्यालय ने मेरिट के आधार पर दाखिला क्यों नहीं दिया. न्यायालय ने इस संदर्भ में यूजीसी राज्य सरकार और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी किया है और चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा गया है.


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