Uttarakhand Mahapanchayat: उत्तराखंड उच्च न्यायालय गुरुवार को पुरोला नगर में हिंदू संगठनों को ‘‘लव जिहाद’’ के खिलाफ 'महापंचायत' आयोजित करने से रोकने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करेगा, जहां स्थानीय प्रशासन ने सभा को होने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा लागू की है. उच्चतम न्यायलय द्वारा मामले से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई से इनकार करने और याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय या किसी अन्य संबंधित प्राधिकार के समक्ष जाने की इजाजत दिये जाने के बाद ‘एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ ने बुधवार को उच्च न्यायालय का रुख किया.


स्थानीय व्यापार संघों ने धारा 144 लागू करने के विरोध में उत्तरकाशी जिले में गुरुवार को बंद का आह्वान किया, जिसमें पुरोला पड़ता है. प्रशासन ने महापंचायत के लिए अनुमति नहीं दी है. गत 26 मई को पुरोला में एक नाबालिग हिंदू लड़की का अपहरण करने की कोशिश करने के आरोप में अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति सहित दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किए जाने के बाद से इस क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव है. लड़की को छुड़ाने के साथ ही आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.


लव जिहाद के मामलों के खिलाफ अभियान
स्थानीय व्यापार निकायों और दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने पुरोला और पड़ोसी नगरों जैसे बरकोट, चिन्यालीसौड़ और भटवारी में 'लव जिहाद' के मामलों के खिलाफ एक अभियान चला रखा है. इससे पहले दिन में उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अवकाशकालीन पीठ ने एनजीओ के अधिवक्ता शाहरुख आलम से कानून में उपलब्ध विकल्पों को चुनने और उच्च न्यायालय अथवा किसी अन्य प्राधिकरण के पास जाने को कहा था.


एनजीओ की याचिका में ‘महापंचायत’ को रोकने और एक समुदाय विशेष के सदस्यों को कथित रूप से निशाना बनाते हुए नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया था. पीठ ने कहा, ‘‘हम कानूनी प्रक्रियाओं के विपरीत नहीं जाना चाहते. उच्च न्यायालय है और जिला प्रशासन है, आप उनसे संपर्क कर सकते हैं. कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और आपको क्यों लगता है कि अगर मामला उसके संज्ञान में लाया जाता है तो कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. आपको उच्च न्यायालय में विश्वास रखना चाहिए.’’


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याचिका वापस लेने का अनुरोध
पीठ ने अपने आदेश में, दर्ज किया कि आलम ने रिट याचिका वापस लेने का अनुरोध किया है ताकि एनजीओ उच्च न्यायालय या किसी अन्य प्राधिकरण से संपर्क करने में सक्षम हो सके. पीठ ने कहा, 'अनुमति प्रदान की जाती है. रिट याचिका को वापस लिया मानकर खारिज किया जाता है.’’ आलम ने कहा कि पोस्टर और पत्रों के जरिए एक विशेष समुदाय के सदस्यों को उत्तरकाशी छोड़ने के लिए कहा गया है और नफरत फैलाने वाले भाषणों के मामले में पुलिस को स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए लेकिन उसकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई.


उन्होंने कहा, ‘‘उपलब्ध सामग्री से पता चलता है कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की आवश्यकता है. 15 जून को एक महापंचायत होने वाली है और उन्होंने जिला प्रशासन को 15 जून तक एक विशेष समुदाय के सदस्यों को हटाने का अल्टीमेटम दिया है.’’ महापंचायत से पहले पुरोला के उप जिलाधिकारी देवानंद शर्मा ने कहा कि 19 जून तक धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू रहेगी. उन्होंने कहा कि कुछ लोग शांति भंग करने की कोशिश कर सकते हैं इसलिए धारा 144 लागू की गई है.


बजरंग दल के अध्यक्ष अनुज वालिया ने कहा कि महापंचायत को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदम हिंदुओं के खिलाफ बड़ी साजिश का हिस्सा हैं. उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रोहिल्ला और पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी को हटाने की मांग करते हुए वालिया ने कहा, ‘‘महापंचायत शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित की जानी थी. प्रशासन जिहादियों की रक्षा कर रहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रशासन एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के दबाव में काम कर रहा है.’’ उन्होंने कहा कि धारा 144 हिंदू संगठनों को महापंचायत करने से नहीं रोक पाएगी, जो 19 जून के बाद कभी भी हो सकती है.


अपहरण की असफल कोशिश
महापंचायत का आह्वान करने वाले अन्य दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों में विश्व हिंदू परिषद और देवभूमि रक्षा अभियान शामिल हैं. ‘‘लव जिहाद’’ ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल अक्सर दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा यह आरोप लगाने के लिए किया जाता है कि मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को शादी का लालच देकर उनका धर्मांतरण कर रहे हैं. पुरोला में 26 मई को अपहरण की असफल कोशिश के अलावा, उत्तरकाशी जिले के आराकोट क्षेत्र में गत आठ जून को नवाब नामक व्यक्ति द्वारा नेपाली मूल की दो नाबालिग बहनों के अपहरण की कोशिश करने का मामला सामने आया था.


दोनों मामलों में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. अपहरण की कोशिश की इन घटनाओं के बाद पुरोला में मुसलमानों द्वारा संचालित 40 से अधिक दुकानें एक पखवाड़े के बाद भी नहीं खुली हैं. कुछ दुकानों पर पिछले सप्ताह पोस्टर लगाकर लोगों से कहा गया है कि वे महापंचायत से पहले नगर छोड़ दें या परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें.


मुसलमानों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन ‘मुस्लिम सेवा संगठन’ ने भी 18 जून को देहरादून में महापंचायत करने का आह्वान किया है. वहीं उत्तराखंड वक्फ बोर्ड और राज्य हज कमेटी के सदस्यों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपील की कि पर्वतीय राज्य में शांति अवरुद्ध करने वाले ‘असामाजिक तत्वों’ के खिलाफ कड़ी कार्रवाईकी जाए और पुरोला में कई पीढ़ियों से रह रहे मुसलमानों की रक्षा की जाए.