रेल हादसे में घायल हाथी को लेकर रेलवे पर उठे सवाल, पशु प्रेमी बोले विभाग की लापरवाही से हुई घटना
Uttarakhand News: रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह हादसा हाथी के अचानक ट्रेन के सामने आ जाने के कारण हुआ. इसलिए इसमें विभाग की कोई गलती नहीं है.

गुलरभोज लालकुंआ रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हुआ हाथी अब भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है. हादसे के बाद मथुरा से पहुंची विशेष वन्यजीव चिकित्सा टीम लगातार उसके उपचार में जुटी है, लेकिन उसकी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है. इस दर्दनाक घटना ने जहां वन विभाग और रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. वहीं अब रेलवे अधिकारियों ने हादसे की जिम्मेदारी घायल गजराज पर ही डाल दी है.
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह हादसा हाथी के अचानक ट्रेन के सामने आ जाने के कारण हुआ. इसलिए इसमें विभाग की कोई गलती नहीं है. इज्जतनगर मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक संजीव शर्मा ने कहा कि वन क्षेत्रों से गुजरने वाले रेलमार्गों पर जगह-जगह सावधानी और चेतावनी के बोर्ड लगाए गए हैं, ताकि लोको पायलट गति पर नियंत्रण रख सकें. उन्होंने दावा किया कि यह घटना पूरी तरह आकस्मिक थी.
हालांकि पशु प्रेमी इस तर्क को पूरी तरह खारिज कर रहे हैं. उनका कहना है कि रेलवे की लापरवाही और संवेदनहीनता ने इस बेजुबान जीव को दर्द में धकेल दिया है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब रेलवे ने वन क्षेत्र में ट्रेनों की गति 30 किलोमीटर प्रति घंटा तय की है, तो आखिर ब्रेक समय पर क्यों नहीं लगाए गए? यदि लोको पायलट सतर्क था, तो हादसा कैसे हुआ?
ट्रेन की चपेट में आने से दलदल में जा गिरा हाथी
शनिवार को हुई इस घटना के दौरान गुलरभोज के तिलपुर गांव के पास पोल संख्या 16/8 पर से गुजर रही स्पेशल ट्रेन की गति निर्धारित सीमा से अधिक बताई जा रही थी. उसी दौरान ट्रेन की चपेट में आने से हाथी बगल के दलदल में जा गिरा. करीब 15 घंटे की मशक्कत के बाद जेसीबी मशीन की मदद से उसे बाहर निकाला गया. तब से वह गंभीर रूप से घायल अवस्था में पड़ा है और टीम उसका उपचार कर रही है.
घटना की निष्पक्ष जांच की उठी मांग
वन्यजीव विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो. उन्होंने कहा कि वन क्षेत्रों में रेलवे ट्रैक के दोनों ओर मजबूत बैरिकेडिंग और अंडरपास बनाने की जरूरत है, ताकि हाथियों और अन्य वन्यजीवों की आवाजाही सुरक्षित ढंग से हो सके. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली घटना नहीं है. पिछले वर्षों में भी इस ट्रैक पर कई बार वन्यजीव ट्रेन की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन रेलवे की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही सुरक्षा इंतज़ाम नहीं बढ़ाए गए, तो इस तरह की घटनाएं फिर दोहराई जा सकती हैं.
Source: IOCL






















