देहरादून, एबीपी गंगा। चुनावी गर्मी के बाद अब राज्य में मौसम भी गर्माने लगा है। दिन तपने लगे हैं और सूर्य देव ने भी आग उगलना शुरू कर दिया है। ऐसे में 70 फीसदी वन भूमि से आच्छादित उत्तराखंड में जगंल की आग एक बड़ी चुनौती बन कर सामने खड़ी है। आए दिन जंगलों में लग रही आग से नुकसान में भी हर साल इजाफा हो रहा है।
जंगलों में आग का तांडव शुरू
अमूमन फायर सीजन (जब आग लगने का प्रकोप रहता है) 15 फरवरी से लेकर मानसून आने तक माना जाता है। वैसे उत्तराखंड में मध्य अप्रैल तक मौसम में ज्यादा गर्मी नहीं होती है और फायर सीजन की वास्तविक चुनौती 15 अप्रैल के बाद ही शुरू होती है। इस बार भी उत्तराखंड में फायर सीजन ने दस्तक काफी पहले दे दी थी, लेकिन बड़ी चुनौती अब आगे है। जंगलों में आग ने तांडव मचाना शुरू कर दिया है।
अबतक हुआ नुकसान
फायर सीजन में अब तक के 60 दिनों में 24 वनाग्निकी घटनाएं घट चुकी हैं, जिसमें उत्तराखंड के रिजर्व फॉरेस्ट का 30.65 हेक्टेयर और सिविल फॉरेस्ट का 5 हेक्टेयर जंगल आग में स्वाहा हो चुका है। तो वहीं, इन सभी घटनाओं से अब तक गढ़वाल क्षेत्र में 6 मवेशियों सहित 43 हजार से ज्यादा के नुकसान का आकलन सरकारी दस्तावेंजों में में किया जा चुका है, लेकिन आगे आने वाले सीजन में फॉरेस्ट फायर को लेकर स्थिति बद से बत्तर भी हो सकती है। उत्तराखंड के वन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस फायर सीजन के लिए 15 से 20 करोड़ का अनुमानित बजट रखा गया है।
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, फायर सीजन को देखते हुए सभी अधिकारी कर्मचारियों को अलर्ट किया जा चुका है। तो वहीं आगामी फायर सीजन को देखते हुए छुट्टियों को भी रद्द कर दिया गया है। प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने बताया कि फायर सीजन के मद्देनजर तकरीबन 10 हजार कर्मचारियों की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है, जो की सीजन में आवश्यक्ता अनुसार उपयोग मे लिए जाएंगे। इसके अलावा अधिकारियों को ज्यादातर फील्ड ड्युटी पर तैनात किया जाएगा। इसके साथ ही एक टोल फ्री नम्बर 18001804141 भी जारी किया गया है। जीआईएस और सेटेलाइट इमेज के जरिए फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के साथ लगातार सामजंस्य बैठाया जा रहा है।
उत्तराखंड के जंगलो में पिछले 5 सालों में लगी आग से कितना नुकसान हुआ है वह इन आंकड़ों से समझा जा सकता है।
साल 2014 वनाग्नि के वर्ष 2014 में 515 मामले सामने आए। जिसमें से तकरीबन 930.33 हेक्टेयर वन जल कर राख हो गए और 23.57 लाख का नुकसान पूरे फायर सीजन में हुआ।
साल 2015 फोरेस्ट फायर की 412 घटनाएं सामने आईं और सूबे का 701.61 हेक्टेयर जंगल राख हो गया जिसमें 7.94 लाख का नुकसान बताया गया है।
साल 2016 वनाग्नी के 2074 मामले सामने आए और प्रदेश का 4433.75 हेक्टेयर जंगल जल कर राख हो गया। जिसमें 46.50 लाख के नुकसान का आकलन किया गया था।
साल 2017 वनों में आग की 805 घटनाएं चिन्हित की गई। जिसमें सूबे का 1244.64 हेक्टेयर वन राख हो गया और 18.34 लाख के नुकसान का आकलन इस सीजन में किया गया।
साल 2018 उत्तराखंड के जंगलों में वनाग्नि की घटनाओं ने और तेजी पकड़ी है और पूरे सीजन 2150 घटनाएं सामने आई और 4480.04 हेक्टेयर जगल जल गया जिसमें 86.05 लाख के नुकसान का आकलन किया गया।
साल 2019 अब तक वहीं मौजूदा सीजन की बात की जाए तो हालत इस बार भी गंभीर हैं। सीजन के अभी मात्र 60 ठण्डे दिन ही बीते हैं और अभी पूरा भीषण गर्मी वाला सीजन बाकी है लेकिन अभी से तकरीबन 24 घटनाएं घट चुकी है जिसमें हजारों का नुकसान हो चुका है ।