उत्तराखंड में छोटे-छोटे बच्चों में आंखों की बीमारियों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही हैं. सबसे ज्यादा ऐसे बच्चों की संख्या राजधानी देहरादून में देखने को मिल रही हैं जहां लगभग 50 फ़ीसदी से ज्यादा स्कूली छात्रों की आंखों पर चश्मा लग गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह मोबाइल माना जा रहा है. 

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देहरादून में पिछले कुछ समय में बच्चों में आंखों की समस्याओं के मामले बढ़ते जा रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि आजकर बच्चे खेलने से ज्यादा मोबाइल फ़ोन पर ध्यान देते हैं वो खाली समय में फोन देखते हैं जिसकी वजह से बच्चों का स्क्रीनिंग टाइम बढ़ रहा हैं. 


मोबाइल बना आंखों की बीमारी की बड़ी वजह


लगातार फोन या रील्स देखने की वजह से बच्चों की आंखों में ड्राइनेस बढ़ रही हैं, जो धीरे-धीरे आंखों की नसों को कमजोर कर रही हैं. जिससे उनकी नजरें कमजोर हो रही हैं. जानकारों का कहना है कि ये समस्या केवल बच्चों में ही नहीं, बल्कि बड़ों में भी है. 


इसको लेकर एबीपी न्यूज़ ने दून मेडिकल कॉलेज के आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर ओझा से बात की, तो उन्होंने बताया कि हम मोबाइल देखते समय पलकों को नहीं झपकाते हैं. काफी लंबे समय तक आंखें एक साथ स्क्रीन पर लगाए रखते हैं, जिससे आंखों में ड्राइनेस आ जाती है और धीरे-धीरे यही ड्राइनेस आंखों की रोशनी कमजोर करती है. 


जंक फूड की वजह से भी बढ़ रही परेशानी


डॉक्टर ओझा ने कहा कि आंखें कमजोर होने का दूसरा कारण जंक फूड भी बन रही हैं. जिस तरह से हम तेजी से जंक फूड की ओर बढ़ रहे हैं, उससे भी समस्या आ रही है. हेल्दी फूड न खाने से शरीर में कई बीमारियां उत्पन्न होती हैं, जो कि आंखों पर भी असर डालती हैं.


डॉक्टर ने अभिभावकों को सलाह दी है कि बच्चों को जितना हो सके मोबाइल से दूर रखें, जंक फूड न खिलाएं, तभी बीमारियों से बचा जा सकता है. छोटे-छोटे बच्चों की आंखों पर चश्मा लगना परेशान करने वाली बात है. दून अस्पताल में सबसे ज्यादा भीड़ आंखों की ओपीडी में देखने को मिलती है, जहां बुजुर्ग से लेकर छोटे बच्चे तक आंखों का इलाज कराने पहुंच रहे हैं.