उत्तराखंड में ठंड बढ़ने के साथ ही बिजली संकट गहराता जा रहा है. तापमान में लगातार गिरावट के चलते राज्यभर में हीटर, गीजर, ब्लोअर और अन्य विद्युत उपकरणों का उपयोग तेजी से बढ़ा है, जिसका सीधा असर बिजली की मांग पर पड़ रहा है. स्थिति यह है कि राज्य में बिजली की उपलब्धता और मांग के बीच का अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे ऊर्जा संकट गंभीर रूप लेता जा रहा है.

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ऊर्जा विभाग की डेली पावर सिस्टम एनर्जी रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर के मध्य तक उत्तराखंड में प्रतिदिन औसतन 40 से 45 मिलियन यूनिट से अधिक बिजली की मांग दर्ज की जा रही है, जबकि राज्य के पास कुल उपलब्धता महज 24 से 25 मिलियन यूनिट के आसपास सीमित है. इस अंतर को पूरा करने के लिए राज्य को केंद्रीय हिस्सेदारी, अन्य राज्यों से बैंकिंग पावर और बाजार से बिजली खरीद पर निर्भर रहना पड़ रहा है. इसके बावजूद प्रतिदिन करीब 20 मिलियन यूनिट बिजली की कमी बनी हुई है.

13 से 19 दिसंबर के बीच सबसे ज्यादा संकट रहा

आंकड़ों पर नजर डालें तो 13 से 19 दिसंबर के बीच लगभग हर दिन राज्य को भारी बिजली संकट का सामना करना पड़ा. 13 दिसंबर को जहां 43.870 मिलियन यूनिट की मांग के मुकाबले 24.624 मिलियन यूनिट बिजली उपलब्ध रही. वहीं 17 और 18 दिसंबर को हालात सबसे ज्यादा खराब रहे. इन दोनों दिनों में बिजली की मांग 45 मिलियन यूनिट से ऊपर पहुंच गई, जबकि उपलब्धता 23.894 मिलियन यूनिट तक सिमट गई. नतीजतन इन दिनों 21 मिलियन यूनिट से अधिक की बिजली कमी दर्ज की गई.

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आगे और बढ़ सकती है परेशानी

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में तापमान और गिरने की संभावना है, जिससे घरेलू और व्यावसायिक दोनों स्तरों पर बिजली की खपत और बढ़ेगी. यदि समय रहते आपूर्ति बढ़ाने के ठोस इंतजाम नहीं किए गए, तो राज्य को महंगी दरों पर अतिरिक्त बिजली खरीदनी पड़ेगी, जिसका सीधा असर राजकोष और उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है. फिलहाल ऊर्जा विभाग हालात पर नजर बनाए हुए है, लेकिन बढ़ती मांग और सीमित उपलब्धता के चलते सर्दियों में बिजली संकट उत्तराखंड के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है.