Uttarakhand Election 2022: पांच साल में तीन-तीन मुख्यमंत्री देने के बाद भी बीजेपी को उत्तराखंड में तमाम समुदायों को जोड़े रखने के लिए माइक्रो मैनेजमेंट करना पड़ रहा है. जिला उधमसिंह नगर में विधानसभा की नौ सीटें हैं, इसलिए भी यह जिला महत्वपूर्ण हो जाता है. इसके अलावा यह मुख्यमंत्री इसी जिले की खटीमा सीट से विधायक है. वहीं जिले में बंगाली वोटरों को लुभाने के लिए अब बीजेपी नेता उत्तराखंड में बंगाली स्टार प्रचारकों को आगे लाकर उन्हें बंगाली वोटरों को बीजेपी की ओर खींचने का काम करवा रहे हैं.
जेपी नड्डा ने बंगाली भाषा का किया इस्तेमालअपने दो दिवसीय दौरे पर रुद्रपुर पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रुद्रपुर में आयोजित जन संवाद कार्यक्रम में बांग्ला भाषा का भी प्रयोग किया. वहीं उत्तराखंड बीजेपी की सह चुनाव प्रभारी व पश्चिम बंगाल से लोकसभा सांसद लॉकेट चटर्जी बंगाली भाषा में संबोधन किया. यह बीजेपी की एक रणनीति है क्योंकि उधमसिंह नगर में बंगाली समुदाय की संख्या काफी ज्यादा है.
क्यों अहम हैं बंगाली वोटर? जिले की सितारगंज विधानसभा सीट सबसे ज्यादा बंगाली वोटर वाली सीट है. यहां से 2012 के विधानसभा तक बंगाली समुदाय के नेता ही विधायक बनते रहे. 2012 में यहां से किरण मंडल बीजेपी के विधायक बने, लेकिन जब विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने तो उन्हें विधानसभा पहुंचना था, इसलिए बीजेपी के किरण मंडल से इस्तीफा दिलवाकर कांग्रेस में शामिल किया और बहुगुणा इसी सीट से विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे.
ये सीटें भी हैं महत्वपूर्णअभी यहां से बीजेपी के सौरभ बहुगुणा विधायक हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे हैं. सितारगंज के अलावा जिन सीटों पर बंगाली समुदाय चुनाव परिणाम प्रभावित करता है उनमें किच्छा, रुद्रपुर और गदरपुर शामिल है. यानि जिले की नौ विधान सभा सीटों में से चार पर बंगाली समुदाय का अच्छा खासा दखल है. यही वजह है इस बार बीजेपी ने यहां पर बंगाल से लोकसभा सांसद लॉकेट चटर्जी को भेजा है ताकि वो बंगालियों से हिंदी में नहीं बंगाली में बात करके पार्टी से जोड़े रहें.
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