उत्तराखंड विधानसभा का तीन दिवसीय विशेष सत्र 20 घंटे 23 मिनट की कार्यवाही के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. यह सत्र राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बुलाया गया था.
इस सत्र के दौरान कमीशनखोरी, पलायन, गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने, मूल निवास समय निर्धारण और राज्य के भविष्य के रोडमैप जैसे अहम मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई. सत्र के दौरान पक्ष और विपक्ष के बीच कई बार तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली.
विशेष सत्र में सभी सदस्यों ने सक्रिय भागीदारी की
संसदीय कार्य मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि विशेष सत्र में सभी सदस्यों ने सक्रिय भागीदारी की और सदन में उत्साह को देखते हुए पहली बार इसकी अवधि एक दिन बढ़ाई गई. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में उत्तराखंड को केंद्र सरकार से लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त हुई है, जिससे राज्य में बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवाओं और औद्योगिक विकास को नई दिशा मिली है. उन्होंने इस सत्र को ऐतिहासिक और राज्य के भविष्य के लिए मार्गदर्शक बताया.
विशेष सत्र के लेखा-जोखा को बताया झूठ का पुलिंदा
वहीं, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि विशेष सत्र में जो लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया, वह “झूठ का पुलिंदा” है. उन्होंने कहा कि सत्र में राज्य के वास्तविक मुद्दों पर सार्थक चर्चा नहीं हो सकी. आर्य ने कहा कि राज्य के 25 वर्षों के विकास का ईमानदार मूल्यांकन जरूरी है, जिसमें कांग्रेस के 10 साल और भाजपा के 13 साल की नीतियों की तुलना होनी चाहिए.
कुल मिलाकर, यह विशेष सत्र उत्तराखंड के बीते 25 वर्षों की उपलब्धियों और आने वाले 25 वर्षों के लक्ष्यों पर चर्चा के लिए बुलाया गया था, जो राजनीतिक बहस और आरोप-प्रत्यारोप के बीच ऐतिहासिक सत्र के रूप में दर्ज हुआ.
बिहार चुनाव की वोटिंग के बीच अखिलेश यादव का खास संदेश, केशव प्रसाद मौर्य ने की ये अपील