उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने के कारण खीर गंगा नदी में आयी विनाशकारी बाढ़ से यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर कल्प केदार मलबे में दब गया. ऐसा बताया जाता है कि पिछली बार आई किसी आपदा के कारण यह मंदिर कई वर्षों तक जमीन के नीचे दबा रहा था तथा केवल इसका उपरी हिस्सा ही दिखाई देता था.
कतुरे शैली में निर्मित इस शिव मंदिर की वास्तुकला केदारनाथ धाम की तरह है. वर्ष 1945 में की गई एक खुदाई के बाद इस मंदिर के बारे में पता चला था. जमीन के नीचे कई फुट तक खुदाई करने पर एक प्राचीन शिव मंदिर मिला था जिसकी संरचना केदारनाथ मंदिर की तरह थी.
मंदिर जमीन से नीचे स्थित था और भक्तों को मंदिर में प्रार्थना करने के लिए नीचे जाना पड़ता था. लोगों का कहना है कि मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग पर अक्सर खीरगंगा का पानी आता है और इसके लिए एक रास्ता भी बनाया गया है.
मंदिर के बाहर पत्थर पर नक्काशी की गई है. प्राचीन शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग का आकार केदारनाथ की तरह ही नंदी की पीठ की तरह है.
डॉक्टर्स की टीम कर रही लोगों का इलाज
इन सबके बीच उत्तरकाशी के सीएमओ डॉ बी एस रावत ने कहा डॉक्टरों की टीम मौके पर मौजूद है. राहत कैंपों में डॉक्टरों की टीम लोगों का प्राथमिक उपचार कर रही है. हमारे करीब 25 एंबुलेंस और ऑन द वे हैं लेकिन संपर्क मार्ग टूटने की वजह से वह मौके पर नहीं पहुंच पा रही हैं लेकिन कई एंबुलेंस और डॉक्टरों की टीम धराली में मौजूद है. जहां पर वह लगातार लोगों का उपचार कर रही है .
उन्होंने कहा कि लोगों को मानसिक रूप से भी स्वस्थ करने के लिए मनोचिकित्सकों की टीम भी धारा ली भेजी गई है ताकि उन्हें मानसिक तौर से भी स्वस्थ किया जा सके क्योंकि जिस तरीके का मंजर लोगों ने कल देखा है उसे लोगों के अंदर एक डर का माहौल है और उसे डर से लोगों को बाहर निकालने के लिए मनोचिकित्सक की भी टीम धराली भेजी गई है. हालांकि जैसे ही संपर्क मार्ग ठीक हो जाएगा उसके बाद एंबुलेंस और डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंचेगी.
बता दें धराली में अभी तक 4 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है और 138 से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू कर लिया गया है.