Uttar Pradesh Poverty Data: नीति आयोग (Niti Aayog) ने सोमवार को गरीबी रेखा पर राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांकः एक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023 (National Multidimensional Poverty Index: A Progress Review 2023) नाम से रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 2015-16 से लेकर 2019-21 के मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान 13.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा  से बाहर आए हैं. साथ ही आयोग ने सभी राज्यों की प्रगति की रिपोर्ट भी जारी की है.

नीति आयोग की इस रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में भी पहले के मुकाबले गरीबी में कमी आई है. उत्तर प्रदेश में 3 करोड़ 42 लाख 72484 लोग बहुस्तरीय गरीबी के बाहर आ गए हैं. इसके चलते 2015-16 के मुकाबले 2019- 21 में कुल गरीबों की संख्या 37.66 से घटकर 22.93 हो गई है. यही नहीं गरीबों की संख्या घटने के मामले में यूपी सभी राज्यों में अव्वल रहा है. इसके बाद गरीबी दूर करने के मामले में बिहार, मध्य प्रदेश, उड़िसा और राज्थान हैं.

India records a dramatic decline in #poverty headcount ratio from 24.85% to 14.96% in past 5️⃣ years.

UP, Bihar, and MP have recorded steepest decline in number of #MPI poor. #Amritkaal #ViksitBharat #DeshBadalRahaHai#PovertyDecline #MPI pic.twitter.com/mKYHqeHVWr

— NITI Aayog (@NITIAayog) July 17, 2023

गरीबी में कमी वाले दस जिले

जिलेमहाराजगंज- 29.64गोंडा- 29.55.बलरामपुर- 27.90कौशाम्बी- 25.75खीरी-25.33श्रावस्ती- 24.42जौनपुर-26.65बस्ती- 23.36गाजीपुर- 22.83कुशीनगर- 22.28चित्रकूट- 21.40

पूरे देश में घटी गरीबीबता दें इस रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश में गरीबी 24.85 से घटकर 14.96 फिसदी पर आ गई है. राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक यानी एमपीआई में स्वास्थय, शिक्षा और जीनवस्तर के आयमों को मापा जा सकता है. यही नहीं इस रिपोर्ट में 36 राज्य और संघ शासित प्रदेशों के साथ-साथ 707 जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी संबंधी अनुमान प्रदान  किए गए हैं. इन्हे 12 सतत विकास लक्ष्यों यानी एसडीजी से जुड़े संकेतकों के माध्यम से दर्शाया गया है.

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